Friday, December 24, 2010

राशि के अनुसार मंत्र जप से नहीं होगी पैसों की तंगीराशि के अनुसार मंत्र जप से नहीं होगी पैसों की तंगी


ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हर व्यक्ति के जीवन पर उसकी राशि का विशेष प्रभाव पड़ता है। सभी अपनी राशि का मंत्र यदि नियमित रुप से पूजा के समय कम से कम एक माला जप करते रहे तो उसकी राशि पर अशुभ ग्रह के प्रभाव और दोषों का निवारण हो जाता है।

उसी प्रकार यदि किसी के घर में अलक्ष्मी का निवास हो गया हो। आर्थिक समस्याएं खत्म होने का नाम नहीं ले रही है तो अपनी राशि के अनुसार लक्ष्मी मंत्र का जप करें । इन मंत्रों के जप से आपकी गरीबी जरुर दूर हो जाएगी साथ ही ये मंत्र धनसम्पदा बढ़ाने और भौतिक सुख प्रदान करने में बहुत सफल माने गए हैं। इसलिए अगर आप चाहते हैं कि आपको न हो कभी पैसों की तंगी तो अपनी राशि के अनुसार लक्ष्मी मंत्र का जप आपके लिए निश्चित ही लाभदायक होगा।


मेष- ऊं ऐं क्लीं सौ:


वृष- ऊं ऐं क्लीं श्रीं


मिथुन- ऊं क्ली ऐं सौ:


कर्क-ऊं ऐं क्ली श्रीं


सिंह- ऊं ह्रीं श्रीं सौ:


कन्या- ऊं श्रीं ऐं सौ:


तुला- ऊं ह्रीं श्रीं सौं


वृश्चिक- ऊं ऐं क्लीं सौ:


धनु- ऊं ह्रीं क्लीं सौ:


मकर-ऊं ह्रीं क्लीं ह्रीं श्रीं सौ:


कुंभ- ऊं ह्रीं ऐं क्लीं श्रीं


मीन- ऊं ह्रीं क्लीं सौ:

Thursday, December 23, 2010

राशि के अनुसार ऐसे करें टेंशन को छू मंतर


ज्योतिष के अनुसार नौ ग्रहों में चंद्रमा को मन का स्वामी माना गया है। कुंडली में चंद्रमा की अशुभ स्थिति के कारण व्यक्ति अवसाद ग्रस्त हो जाता है और उसका मन कुंठीत हो जाता है। इसलिए अपनी राशि के अनुसार चंद्रमा से संबंधित प्रयोग करें तो आप अवसाद और टेंशन से बच सकते है।

मेष- मेष राशि वाले जातक रात में सिरहाने, तांबे के पात्र में जल भर कर रखें और सुबह कांटेदार पेड़ पौधे में डालें तो फ्रस्ट्रेशन से बच सकते है।

वृष- सोमवार को सफेद कपड़े में चावल और मिश्री बांधकर बहते हुए पानी में बहाने से आपका मन हमेशा स्वस्थ्य बना रहेगा।

मिथुन- मिथुन राशि वाले लोग गले में या कनिष्ठीका अंगुली यानी लिटिल फिंगर में चांदी की अंगुठी में मोती धारण करें।

कर्क- आपकी राशि का स्वामी चंद्रमा है इसलिए आप गाय के कच्चे दूध से शिव जी का अभिषेक करें।

सिंह- रात में तांबे के बर्तन में जल भर कर रखें और सुबह उस जल को पिने से आप कभी कुंठीत नही होंगे।

कन्या- आपकी राशि के अनुसार आपको पानी का दान देना चाहिए।

तुला- आपकी राशि का स्वामी ग्रह शुक्र है इसलिए आपको पानी का दान नही देना चाहिए।

वृश्चिक- वृश्चिक राशि वालों के लिए चंद्रमा अशुभ फल देने वाला होता है इसलिए इन्हे चांदी के साथ मोती धारण करना चाहिए और गहरे पानी से सावधान रहना चाहिए।

धनु- फ्रस्ट्रेशन से बचने के लिए धनु राशि वाले लोगो को श्मशान या अस्पताल में प्याऊ लगवाना चाहिए।

मकर- यह राशि शनि देव की राशि है इस राशि वालों को शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाना चाहिए।

कुंभ- अपनी राशि के अनुसार आपको पानी या कच्चा दूध मटके में रख कर सुखी नदी में गाढऩा चाहिए।

मीन- आपकी राशि जलतत्व की राशि है इसलिए मीन राशि वाले लोगों को मछली को दाना डालना चाहिए

ऐसे सपने आएं मतलब जल्द ही चमकेगी किस्मत


कहते हैं ज्योतिष के माध्यम से किसी के भी भूत-भविष्य और वर्तमान का सटीक अंदाजा लगाया जा सकता है। ज्योतिष का ऐसा ही एक प्रकार स्वप्र ज्योतिष है, जिनसे हम भविष्य में क्या होने वाला है? इस प्रश्न का उत्तर खोज सकते हैं।

स्वप्न ज्योतिष के माध्यम से भविष्य में घटित होने वाले शुभ-अशुभ घटनाओं के संकेत मिलते हैं। नींद में सपने सभी देखते हैं। कुछ सपने याद रह जाते हैं, कुछ याद नहीं रहते। जो सपने याद रहते हैं उनके आधार पर हम भविष्य के संबंध में अंदाजा लगा सकते हैं।

-सपने में अपने आपको आग जलाते हुए देखना।

-सपने में किसी का कत्ल करना।

-नारियल का प्रसाद मिलना।

-सपने मे पहाड़ पर चढऩा।

-सपने में कोई धार्मिक कार्य करना या देवी-देवता की मूर्ति देखना।

-सपने में कोई कड़वी चीज खाना।

-सपने में अपने आप को छाता खोलते देखना।

-सपने में खुद को रोते हुए देखना।

यदि उपर लिखे सपनों में से कोई भी स्वप्न आपको दिखाई दे, तो समझना चाहिये कि आपके व्यवसाय या नौकरी के क्षेत्र में आपकी तरक्की के साथ ही आपका शीघ्र ही भाग्योदय होगा।

Tuesday, December 21, 2010

वो पांच शेयर जो दिलाएंगे आपको मुनाफा


आज हम फिर आपको बताएंगे उन पांच शेयरों के बारे में जो आपको दिला सकते हैं मुनाफा। आइए जानते हैं कि वे कौन से पांच शेयर हैं जो देंगे मुनाफा।

इस सूची में पहला नाम है कोल इंडिया का। इस कंपनी का कोयले के व्यवसाय के बड़े हिस्से पर कब्जा है। देश में कोयले की भारी कमी है। कंपनी अपना उत्पादन बढ़ाना चाह रही है और इसके लिए निवेश और प्रयास कर रही है। कंपनी के शेयर 312 रुपए पर खरीदें और टारगेट रखें 380 रुपए का।

अंसल प्रॉपर्टी ऐंड इन्फ्रा-यह कंपनी 19 टाउनशिप प्रोजेक्ट्स पर काम कर रही है। इसकी बिक्री में 79 प्रतिशत का इजाफा हुआ है और इसका लाभ 54 प्रतिशत बढ़ा है। इसके मार्जिन में और सुधार की गुंजाइश है। कंपनी अपना कर्ज भी घटा रही है। इसे 58 रुपए तक खरीदें और इसका टारगेट होगा 75 रुपए का।

पॉवर ग्रिड-यह कंपनी सरकारी है और इस सेक्टर में सरताज है। ट्रांसमिशन के काम में हो रही बढ़ोतरी से इसके लाभ में और वृद्धि होगी। इसके अलावा कंपनी के टेलीकॉम टॉवर बिजनेस से भी उसे लाभ मिलेगा। इसे 97 रुपए पर खरीदें और इसका टारगेट रखें 120 रुपए।

थॉमस कुक-यह कंपनी टूरिज्म क्षेत्र की शुरूआती कंपनियों में से है। इस समय सर्दियों की छुट्टियों के कारण इसके कामकाज में बढ़ोतरी हो रही है। यह 72 शहरों में काम कर रही है और इसे बढ़ाती जा रही है। इसका रिजल्ट बढ़िया आने की उम्मीद है। इसे 58-60 रुपए पर खरीदें और टारगेट रखें 75 रुपए।

यस बैंक- इसका बिजनेस मॉडल इसे लाभ पहुंचाएगा। वर्तमान में यह कॉरपोरेट बैंक है इसलिए इसके बेहतर करने की उम्मीद है। यह अपने और ब्रांच खोलने जा रही है। इसे 299 रुपए में खरीदें और 360 रुपए का टारगेट रखें।

ललित खन्ना, चीफ कंसल्टेंट, ग्लोब कैपिटल मार्केट लिमिटेड

उद्घघोषणा- यह सलाह तात्कालिक परिस्थितियों पर आधारित है और इसमें समयानुसार बदलाव हो सकते हैं।

Tuesday, December 7, 2010

सपने में अगर ली चाय की चुस्की तो समझो...


स्वप्न ज्योतिष के माध्यम से भविष्य में घटित होने वाले शुभ-अशुभ कार्यों की जानकारी मिलती है। अक्सर नींद में सपने सभी देखते हैं। कुछ सपने याद रह जाते हैं, कुछ याद नहीं रहते। जो सपने याद रहते हैं उनके आधार पर हम भविष्य के संबंध में अंदाजा लगा सकते हैं। ऐसे ही कुछ सपनों की आज हम बात कर रहे हैं जो आने वाले कल के सुखमय होने का संकेत देते हैं।

- जो व्यक्ति सपने में तिल, चावल सरसों, जौ, अन्न, का ढेर देखता है। उस व्यक्ति को जीवन में सभी सुख मिलते हैं।

- कलश, शंख और सोने के गहने देखने से जीवन में हर सुख मिलता है।

- अगर सपने में खुद को चाय या चाय की चुस्की लेते देखें तो उसे जीवन में हर्ष उल्लास और समृद्धि मिलती है।

- जब कोई अपनी खोई हुई वस्तु प्राप्त करता है तो उसे आगामी जीवन में सुख मिलता है।

- यदि कोई व्यक्ति सपने में में इन्द्र धनुष देखता है तो उसका जीवन बहुत सुखमय और खुशियों से भरा होता है।

Sunday, December 5, 2010

गलती से भी बाल-नाखून न काटें, क्यों व किस दिन ?


परंपराएं, नियम-कायदे और अनुशासन आखिर क्या और क्यों हैं। आज के इस वैज्ञानिक युग में इन बातों का कोई महत्व या औचित्य है भी या नहीं, कहीं ये बातें अंध विश्वास ही तो नहीं हैं? दूसरे पहलू से सोचें तो क्या इन परंपराओं का इंसानी जिंदगी में कोई महत्वपूर्ण योगदान है? जब गहराई और बारीकी से अध्ययन और विश्लेषण करते हैं तो हम पाते हैं कि, अधिकांस परंपराओं और रीति-रिवाजों के पीछे एक सुनिश्वित वैज्ञानिक कारण होता है। किसी बात को पूरा का पूरा समाज यूं ही नहीं मानने लग जाता। अनुभव, उदाहरण, आंकड़े और परिणामों के आधार पर ही कोई नियम या परंपरा परे समाज में स्थान और मान्यता प्राप्त करते हैं। प्रात:जल्दी उठना, सूर्य व तुलसी को जल चढ़ाना, माता-पिता व गुरुजनों के चरण स्पर्श करना या तिलक लगाना , शिखा-जनेऊ धारण करना ..... आदि अनेक परंपराओं का बड़ा ही पुख्ता वैज्ञानिक आधार होता है।



बेहद महत्वपूर्ण और अनिवार्य परंपराओं व नियमों में बाल और नाखून काटने के विषय में भी स्पष्ट संकेत प्राप्त होते हैं। आज भी हम घर के बड़े और बुजुर्गों को यह कहते हुए सुनते हैं कि, शनिवार, मंगलवार और गुरुवार के दिन बाल और नाखून भूल कर भी नहीं काटना चाहिये। पर आखिर ऐसा क्यों?



जब हम अंतरिक्ष विज्ञान और ज्योतिष की प्राचीन और प्रामाणिक पुस्तकों का अध्ययन करते तो इन प्रश्रों का बड़ा ही स्पष्ट वैज्ञानिक समाधान प्राप्त होता है। वह यह कि शनिवार, मंगलवार और गुरुवार के दिन ग्रह-नक्षत्रों की दशाएं तथा अंनत ब्रह्माण्ड में से आने वाली अनेकानेक सूक्ष्मातिसूक्ष्म किरणें मानवीय मस्तिष्क पर अत्यंत संवेदनशील प्रभाव डालती हैं। यह स्पष्ट है कि इंसानी शरीर में उंगलियों के अग्र भाग तथा सिर अत्यंत संवेदनशील होते हैं। कठोर नाखूनों और बालों से इनकी सुरक्षा होती है। इसीलिये ऐसे प्रतिकूल समय में इनका काटना शास्त्रों में वर्जित, निंदनीय और अधार्मिक कार्य माना गया है।

घर में जूते-चप्पल क्यों न पहनें?


आधुनिकता के दौर में कई परिवारों में घर के अंदर भी जूते-चप्पल पहनने का चलन बढ़ गया है। इसे स्टेटस सिंबोल माना जाता है। जबकि प्राचीन काल से ही ऋषि-मुनियों और विद्वानों द्वारा घर में चरण पादुकाएं अर्थात् जूते-चप्पल नहीं पहनने की बात कही गई है।
घर में जूते-चप्पल नहीं पहनना चाहिए इसकी वजह यह है कि जब हम कहीं बाहर से घर आते हैं तब जूते-चप्पल के साथ गंदगी में आती है। ऐसे में यदि हम वही जूते-चप्पल घर में लेकर जाते हैं तो वह गंदगी घर में फैलती है। जो कि परिवार के सदस्यों के लिए भी स्वास्थ्य की दृष्टि से हानिकारक होती है। इस गंदगी में कई प्रकार के बीमारियां फैलाने वाले कीटाणु रहते हैं। इस वजह से भी घर में जूते-चप्पल पहनना उचित नहीं है।
साथ ही इस बात के पीछे धार्मिक कारण भी है। घर में ही देवी-देवताओं का स्थान भी होता है। जहां हम रहते हैं वहां सभी दैवीय शक्तियां भी निवास करती हैं। ऐसे में यदि हम जूते-चप्पल पहनकर घर में घुमते हैं तो भगवान का भी अपमान होता है। वैसे तो आजकल सभी अपने-अपने घरों में परमात्मा के लिए अलग कक्ष बनवाते हैं फिर भी घर में कई स्थानों पर भगवान से संबंधित वस्तुएं रखी रहती है जो कि ईश्वर का ही प्रतिनिधित्व करती हैं। उनके सामने चरण पादुका यानि जूते-चप्पल पहनकर जाना निश्चित ही अनुचित है। घर में नंगे पैर ही रहना चाहिए इससे घर की पवित्रता बनी रहती है और ऐसे परिवार में देवी-देवता भी स्थाई रूप से निवास करते हैं। भगवान की कृपा से उस घर में किसी भी प्रकार धन, सुख-समृद्धि की कोई कमी नहीं रहती। इन कारणों से घर में जूते-चप्पल नहीं पहनना चाहिए।

हनुमान चालीसा का पाठ क्यों करते हैं?


उज्जैन. कलयुग में हनुमानजी की भक्ति सबसे सरल और जल्द ही फल प्रदान करने वाली मानी गई है। श्रीराम के अनन्य भक्त श्री हनुमान अपने भक्तों और धर्म के मार्ग पर चलने वाले लोगों की हर कदम मदद करते हैं। सीता माता के दिए वरदान के प्रभाव से वे अमर हैं और किसी ना किसी रूप में अपने भक्तों के साथ रहते हैं।
हनुमानजी को मनाने के लिए सबसे सरल उपाय है हनुमान चालीसा का नित्य पाठ। हनुमानजी की यह स्तुति का सबसे सरल और सुरीली है। इसके पाठ से भक्त को असीम आनंद की प्राप्ति होती है। तुलसीदास द्वारा रचित हनुमान चालीसा बहुत प्रभावकारी है। इसकी सभी चौपाइयां मंत्र ही हैं। जिनके निरंतर जप से ये सिद्ध हो जाती है और पवनपुत्र हनुमानजी की कृपा प्राप्त हो जाती है।
यदि आप मानसिक अशांति झेल रहे हैं, कार्य की अधिकता से मन अस्थिर बना हुआ है, घर-परिवार की कोई समस्यां सता रही है तो ऐसे में सभी ज्ञानी विद्वानों द्वारा हनुमान चालीसा के पाठ की सलाह दी जाती है। इसके पाठ से चमत्कारिक फल प्राप्त होता है, इसमें को शंका या संदेह नहीं है। यह बात लोगों ने साक्षात् अनुभव की होगी की हनुमान चालीसा के पाठ से मन को शांति और कई समस्याओं के हल स्वत: ही प्राप्त हो जाते हैं। साथ ही हनुमान चालीसा का पाठ करने के लिए कोई विशेष समय निर्धारित नहीं किया गया है। भक्त कभी भी शुद्ध मन से हनुमान चालीसा का पाठ कर सकता है।

इस रात लड़कियों पर रहता है भूत-प्रेत का डर!


सामान्यत: ऐसी मान्यता है कि रात के समय किसी लड़की को अकेले घर से बाहर नहीं भेजना चाहिए। पुराने समय में इस बात का सख्ती से पालन कराया जाता था। साथ ही अमावस की रात को तो खासतौर पर लड़की को अकेले घर से बाहर निकलना मना किया जाता था।

ऐसा माना जाता है कि अमावस की रात को नकारात्मक शक्तियां अधिक सक्रिय रहती हैं जो कि लड़कियों को बहुत ही जल्द अपने प्रभाव में ले लेती हैं। यहां नकारात्मक शक्ति से अभिप्राय है कि आसुरी प्रवृत्तियां। अमावस की रात बुरी शक्तियां अपने पूरे बल में होती हैं। इन शक्तियों को लड़कियां पूरी तरह प्रभावित करती हैं। जिससे वे उन्हें अपने प्रभाव में लेने की कोशिश करती हैं। इन शक्तियों के प्रभाव में आने के बाद लड़कियों का मानसिक स्तर व्यवस्थित नहीं रह पाता और उनके पागल होने का खतरा बढ़ जाता है।

विज्ञान के अनुसार अमावस और हमारे शरीर का गहरा संबंध है। अमावस का संबंध चंद्रमा से है। हमारे शरीर में 70 प्रतिशत पानी है जिसे चंद्रमा सीधे-सीधे प्रभावित करता है। ज्योतिष में चंद्र को मन का देवता माना गया है। अमावस के दिन चंद्र दिखाई नहीं ऐसे में जो लोग अति भावुक होते हैं उन पर इस बात का सर्वाधिक प्रभाव पड़ता है।

लड़कियां मन से बहुत ही भावुक होती है। जब चंद्र नहीं दिखाई देता तो ऐसे में हमारे शरीर के पानी में हलचल अधिक बढ़ जाती है। जो व्यक्ति नकारात्मक सोच वाला होता है उसे नकारात्मक शक्ति अपने प्रभाव में ले लेती है। इन्हीं कारणों से अमावस की रात को लड़कियों को अकेले बाहर जाने के लिए मना किया जाता था।

चंद्रमा हमारे शरीर के जल को किस प्रकार प्रभावित करता है इस बात का प्रमाण है समुद्र का ज्वारभाटा। पूर्णिमा और अमावस के दिन ही समुद्र में सबसे अधिक हलचल दिखाई देती है क्योंकि चंद्रमा जल को शत-प्रतिशत प्रभावित करता है।

अब टेलीफोन बूथ से बात करते हुए चेहरा भी देखिए


एक जामाना था जब टेलीफोन बूथ या पीसीओ का धंधा खूब चलता था। लेकिन मोबाइल फोन के दिनों दिन बढ़ते इस्तेमाल के चलते ये धंधा काफी मंदा हो गया है। लेकिन अब जानी मानी टेलीकॉम कंपनी ‘एरिक्सन’ ने पीसीओ के कारोबार को मॉर्डन अंदाज में दोबारा शुरू करवाने की दिशा में पहल शुरू कर दी।


पीसीओ को पॉपुलर बनवाने के लिए कंपनी ने एक खास तरह का फोन तैयार किया है। जिसके जारिए आप फोन पर बात करते हुए लोगों का चेहरा भी देख सकेंगे। ये काफी कुछ वीडियो कॉल जैसा है। लेकिन खास बात ये है कि इसमें स्क्रीन काफी बड़ा लगाया गया है। यानी फोन पर बात करते हुए भी ऐसा लगेगा मानो आप आमने-सामने बात कर रहे हों।

एरिक्सन कंपनी इस तरह के पीसीओ को गांवों में पॉपुलर बनाने के जुगत में लगी है, क्योंकि वहां आज भी बड़ी आबादी के पास मोबाइल फोन की सुविधा नहीं है। यही वजह है कि अपने इस खास फोन को लेकर कंपनी ने बिहार, यूपी के गांवों में प्रयोग शुरू कर दिया है। हालांकि इसे व्यावसायिक तौर पर नहीं शुरू किया गया है।

कंपनी को उम्मीद है कि इस नए प्रयोग से एक बार फिर से पीसीओ और टेलीफोन बूथ की तरफ लोगों का रूझान बढ़ेगा। खास तौर पर ग्रामीण इलाकों में कंपनी को अच्छी लोकप्रियता मिलने की उम्मीद है।

Monday, July 19, 2010

मौत की भविष्यवाणी भी करते हैं सपनें


मौत ऐसी सच्चाई है जिसके बारे में सभी जानते हैं लेकिन फिर भी उससे अनभिज्ञ बने रहते हैं। भविष्य में घटने वाली शुभ-अशुभ घटनाओं के तरह सपने मौत की भविष्यवाणी भी करते हैं। आवश्यकता है उनका आशय समझने की। स्वप्न ज्योतिष में ऐसे स्वप्नों की जानकारी दी गई है।

1- जो व्यक्ति स्वप्न में स्वयं को शमशान अथवा पर्वत के शिखर पर बैठकर मदिरापान करता देखता है वह शीघ्र ही मृत्यु को प्राप्त होता है।
2- स्वप्न में जो स्वयं को स्याही अथवा तेल शरीर पर लगाकर गधे की सवारी करता देखता है, उसकी निश्चित रूप से मृत्यु हो जाती है।
3- जो व्यक्ति लगातार भयानक सपने देखता है, उसके प्राण एक वर्ष के भीतर यमराज हर कर ले जाते हैं।
4- यदि कोई स्त्री स्वप्न में स्वयं के सफेद बाल देखती है तो उसका पति से विछोह हो जाता है या उसके पति की मृत्यु हो जाती है।
5- यदि स्वप्न में आप स्वयं को यात्रा पर जाे हुए देंखे तो यात्रा टाल दें क्योंकि यात्रा में आपकी मृत्यु हो सकती है।
6- यदि सपने में शरीर का कोई अंग कटा हुआ देंखे तो निकट भविष्य में किसी परिजन की मृत्यु अवश्यासंभी है।
7- जो व्यक्ति स्वप्न में स्वयं को हंसता या नाचता हुआ देखता है उसकी हत्या हो जाती है।
8- जो व्यक्ति स्वप्न में कौआ देखता है उसे शीघ्र ही किसी की मृत्यु का समाचार मिलता है।
9- यदि कोई स्वयं को स्वप्न में काले कपड़े पहनकर, काले घोड़े पर सवार होकर देखता है तो किसी रोग के कारण शीघ्र ही उसकी मृत्यु हो जाती है।
10- जो व्यक्ति अपने इष्ट देवी की प्रतिमा को फूटते हुए या जलते हुए देखता है उसकी कुछ ही दिनों में मृत्यु हो जाती है।
11- यदि कोई लाल साड़ी पहनी हुई स्त्री स्वप्न में आलिंगन करे व सूखे फूलों की माला पहनाए तो उसकी मृत्यु शीघ्र ही हो जाती है।
12- जो व्यक्ति स्वप्न में स्त्री का स्तनपान करता है, उसकी मृत्यु निश्चित है।
13- यदि कोई लंबे नाखून, पीली आंख नाली निर्वस्त्र स्त्री स्वप्न में आलिंगन करे तो भी मृत्यु हो जाती है।
14- स्वप्न में यदि कोई स्वयं को पेड़ से गिरता हुआ देखता है तो रोग जनित होकर उसकी मृत्यु हो जाती है।
15- यदि कोई व्यक्ति स्वप्न में नगाड़े बते हुए स्वयं का मुंजाडन करवाता है तो शीघ्र ही उसके परिवार में किसी वृद्ध की मौत हो जाती है।

Saturday, July 17, 2010

क्यों होता है पहली नजर में प्यार


एक नजर ही काफी है दिल्लगी के लिए..., पहली ही बार में, एक छोटी सी झलक ने अटूट बंधन में बांध दिया.., पहली ही नजर ऐसी मिली उनसे कि, बस उन्हीं के होकर रह गए सदा के लिये और भी जाने क्या कुछ नहीं कहा जाता इस बारे में।

एक खास उम्र में सबकी पसंद का विषय ही प्यार और प्रेमी हो जाता है। भावनाओं को संभालकर या शांत करके गहराई से विचार करें कि क्या ऐसा होना संभव है। क्या पहली नजर में ही बिना किसी को जाने-पहचाने सच्चा प्रेम किया या करवाया जा सकता है? यदि ऐसा किसी को लगता है कि उसके साथ ऐसा हुआ है, तो क्या वाकई उसे सच्चा अनुभव हुआ है?



कुछ लोग हैं दुनिया में जो सिर्फ और सिर्फ सांइस को ही सच मानते हैं। वहीं कुछ लोग धर्म, ज्योतिष और प्राचीन शास्त्रों पर भी गहरी श्रृद्धा रखते हैं। यानि कि हमें अंतिम निर्णायक किसी एक को नहीं मानना चाहिये बल्कि बीच का रास्ता यानि कि संतुलन बनाने में ही समझदारी है। यानि प्यार जैसे जस्बाती मुद्दे पर हमें सांइस और विज्ञान दोनों की राय लेना चाहिये। तो आइये देखें कि क्या कहता हैं, विज्ञान और ज्योतिष पहली नजर के प्यार के बारे में-



ज्योतिष की नजर से: वीनस यानी शुक्र प्रेम का 'गवर्निंग प्लेनेट' है। शुक्र की स्थिति ही युवाओं की जिंदगी में प्यार और दाम्पत्य जीवन की स्थितियों को नियंत्रित करती है। कुछ अन्य ज्योतिषियों की मान्यता है कि युवाओं की जिंदगी में प्रेम प्रसंगों के लिये कुछ अन्य ग्रह भी जिम्मेदार होते हैं। लेकिन एक्सपट्र्स की मानें तो यह पूर्ण सत्य नहीं है। इसके लिए और भी ग्रह जिम्मेदार हैं। किसी भी युवा लड़के या लड़की की कुंड़ली में बृहस्पति यानी ज्यूपिटर ग्रह शरीर में ऐसे हार्मोन्स की वृद्धि करता है जो विपरीत जेंडर के प्रति आकर्षण बढाता है। यही संयोग जातक में इमोशनल सपोर्ट की अपेक्षाओं को जन्म देता है।



वीनस ग्रह लड़कों में प्रेम का कारक होता है। यही वीनस यानी शुक्र, ज्यूपिटर को संतुलित रखता है। जब किसी कारण से दो प्लेनेट का कॉम्बिनेशन असंतुलित या पूर्णत: एक समान होता है तो प्रेम मिलने का आधार पैदा होता है। चंद्रमा यानी मून, मन का मालिक होता है अत: चंद्रमा का भी प्रेम मिलने में अहम किरदार है। कन्या की कुंडली में चंद्रमा और बृहस्पति एक साथ मजबूत बैठे हों। एक-दूसरे में दृष्टि संबंध हो। स्थान परिवर्तन योग हो। शुक्र बृहस्पति के मुकाबले कमजोर हो। नवम-पंचम में हो तो प्रेम का योग बनता है।



विज्ञान की नजर से: सांइस की माने तो पहली नजर का प्यार जैसी कोई चीज नहीं होती। यह मात्र आकर्षण का ही परिणाम होता है। रसायन विज्ञानियों का मानना है कि ऐसा तब होता है जब शरीर में एक विशेष प्रकार हार्मोन्स का स्राव होने लगता है। किन्तु यदि हम मनोविज्ञान के दृष्टिकोण से सोचेंगे तो एक नई और अधिक व्यावहारिक बात सामने आएगी। वह यह कि इंसानी मन की यह फि तरत होती है कि उसे जिस काम से रोका जाए ,उसे उसी काम में अधिक रस मिलता है। लड़के और लड़कियों को बचपन से एक दूसरे से दूरी रखने का निर्देश दिया जाता है, जिससे उनके मन जिज्ञासा और भी बढ़ जाती है।

Saturday, July 10, 2010

कितने प्रेम प्रसंग बता देगी विवाह रेखा

हस्तरेखाएं भी ज्योतिष शास्त्र में काफी महत्व रखती हैं। हाथों की रेखाओं को व्यक्ति का दर्पण कहा जा सकता है। जो बात आप अपनी आंखों से, चेहरे के हाव-भाव से छुपा जाते हैं वे हाथों की लकीरें बता देती हैं।

अधिकांश लोग अपने प्रेम प्रसंग सभी से छुपाते हैं परंतु यदि कोई जानना चाहे तो उसके हाथों में विवाह रेखा को देखकर सब कुछ जान सकता है।

विवाह रेखा: सबसे छोटी उंगली के नीचे बुध पर्वत के प्रारंभिक भाग में होती है। यह रेखाएं आड़ी होती हैं। यदि ये रेखाएं एक से अधिक हैं तो ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ऐसा माना जाता है कि उस व्यक्ति के उतने प्रेम प्रसंग रहे हैं।

यदि यह रेखा टूटी हो या कटी हुई हो विवाह विच्छेद की संभावना होती है। साथ ही यह रेखा आपका वैवाहिक जीवन कैसा रहेगा यह भी बताती है। यदि रेखाएं नीचे की ओर गई हुई हों तो दांम्पत्य जीवन में आपको काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

Sunday, June 13, 2010

शैतान बना देती है शराब..!

Tawaniya Network
First Published 10:00[IST](13/06/2010)
Last Updated 10:51 AM [IST](13/06/2010)
विशेषः अल्कोहल अनाज, फलों और सब्जियों को खमीरीकृत करके एक विशेष प्रक्रिया से बनाई जाती है। इसमें बैक्टीरिया खाने की शक्कर को अल्कोहल या शराब में बदल देते हैं। अल्कोहल के कई प्रकार होते हैं और इसे क्लीनर या एंटीसेप्टिक की तरह भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

शराब के तौर पर एथेनॉल का प्रयोग किया जाता है। शराब का नशा सिर्फ पीने वाले को ही नहीं उससे जुड़े हर व्यक्ति पर असर डालता है। यह उस शैतान की तहर है जो इंसान को बाहर से हैवान बना देती है और अंदर ही अंदर उसे खोखला भी कर देती है। दक्षिण अफ्रीका में चल रहे फीफा वर्ल्ड कप में खिलाड़ियों के शराब पीने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। गुजरात देश का एक मात्र राज्य है, जहां शराब पर प्रतिबंध लगा हुआ है। इसके साथ ही मुस्लिम धर्म में भी शराब पीना प्रतिबंधित है।

हर हिस्से पर प्रभाव शराब जैसे ही मुंह में पहुंचती है, जीभ में मौजूद स्वाद इंद्रियां सक्रिय हो जाती हैं। शराब तेजी से गले से होती हुई छोटी आंत फिर बड़ी आंत में पहुंचती है। यहां अवशोषित होने के बाद खून में मिलती है और यहीं से शरीर के हर हिस्से को प्रभावित करती है। इसके कारण शरीर की क्रियाविधि को नियंत्रित करने वाला तंत्रिका तंत्र प्रभावित होने लगता है। इसके कारण शरीर द्वारा दिमाग को भेजे जाने वाले कुछ संदेश प्रभावित होने लगते हैं। इसकी वजह से व्यक्ति की भावनाओं, हरकतों, देखने, सुनने और विचारों को बदल देता है।

घंटों रहती है शरीर में

शराब का १क् प्रतिशत हिस्सा सांस, पसीने और मूत्र के द्वारा शरीर से बाहर निकल जाता है। शराब का शेष भाग चयापचय (मेटाबोलिक) की प्रक्रिया में टूट जाता है। लिवर एंजाइम्स के जरिए शराब को पचाता है। हालांकि, इस दौरान लिवर काफी कम मात्रा का चयापचय कर पाता है और शेष शराब खून के जरिए शरीर में घूमती रहती है। शराब के चयापचय की दर पीने वाले के वजन, उसकी लंबाई, लिंग, जाति, कितनी तेजी से शराब पी गई है और अन्य बातों पर निर्भर करती है। शराब के चयापचय की दर ब्लड अल्कोहल कंसनट्रेशन (बीएसी) .क्१५ प्रति घंटे के हिसाब से होती है। यानी अगर किसी व्यक्ति ने क्१. बीएसी अल्कोहल लिया है तो उसके पचने में ६.६६ घंटे का समय लगेगा।

दुनिया में आगे भारत

भारत दुनिया में सबसे अधिक शराब का उत्पादन करने वाले देशों में से एक है। पिछले १५ वर्षो में देश में शराब का उत्पादन तेजी से बढ़ा है और वर्तमान में यह २,३क्क् मिलियन लीटर से अधिक हो चुका है। दक्षिण-पूर्वी एशिया में भारत की उत्पादन में हिस्सेदारी ६५ फीसदी से अधिक है। आंध्र प्रदेश, पंजाब, गोवा और उत्तरी भारत में शराब पीने की दर सबसे अधिक है।

असम, अरुणांचल प्रदेश, सिक्किम और पूर्वोत्तर, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ में देश के अन्य हिस्सों की तुलना में महिलाएं अधिक शराब पीती हैं। उधर, सुप्रीम कोर्ट ने युवाओं के नशे के चंगुल में फंसते जाने पर चिंता जताई है। कोर्ट का कहना है कि राज्यशराब पर प्रतिबंध लगाने में गंभीर दिखते हैं, लेकिन उन्हें लागू नहीं करते हैं। दिल्ली के एक्साइज कमिश्नर के अनुसार, शराब उद्योग से राजस्व के रूप में २७,७७८ करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त होता है। अगर शराब पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा तो राज्यों को हजार करोड़ रुपए का वर्षिक नुकसान होगा।

भ्रामक तथ्य मैं जब चाहूंगा, छोड़ दूंगा।

हो सकता है कि आप शराब छोड़ सकते हों, लेकिन अधिकतर लोग जब चाहें तब शराब पीना नहीं छोड़ सकते। नियमित रूप से शराब पीने वाले पीने के लिए कोई न बहाना बनाएंगे।

शराब मेरी समस्या है, मैं दूसरों को नुकसान नहीं पहुंचाता।

आपके शराब पीने से सिर्फ आपको ही नहीं पूरे परिवार को नुकसान होता है। यह नुकसान आर्थिक और सामजिक दोनों तरह से होता है। शराब पीकर अगर आप लड़ाई-झगड़ा नहीं करते हैं और सोचते हैं कि किसी को कोई नुकसान नहीं है तो भी आप कम से कम अपने शरीर के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं, जो आगे आपको बीमार बना देगा।

मैं रोज नहीं पीता हूं, तो मैं अल्कोहलिक नहीं हूं।

अल्कोहलिक होने का यह अर्थ नहीं है कि आप क्या पीते हैं, कितना पीते हैं और कब पीते हैं। अगर आपके पीने से आपके जीवन में समस्याएं हो रहीं हैं आपके परिवार को समस्या हो रही है या फिर सामाजिक क्षति हो रही है तो आप अल्कोहलिक हैं।

नहीं रहती निर्णय लेने की क्षमता

शराब पूरे शरीर का सिस्टम बिगाड़ देती है। खासतौर पर यह व्यक्ति की सोच और निर्णय लेने की क्षमता को बुरी तरह प्रभावित करती है। उसका नजरिया एकदम बदल जाता है। इसके कारण व्यक्ति की पेशीय गतिविधियांे पर भी असर पड़ता है। यानी उसके हाथ के मूवमेंट्स, बोलने की क्षमता तक बुरी तरह प्रभावित हो जाती है। इसलिए शराब पीने के बाद ड्राइविंग करने को मना किया जाता है। हालांकि ये सारी बातें व्यक्ति द्वारा ली जाने वाली शराब की मात्रा पर भी निर्भर करती है। धीरे-धीरे शराब पीना शरीर की जरूरत बन जाता है। यह किसी दवा की तरह ही है। जैसे व्यक्ति को नींद की गोली लेने की आदत पड़ जाती है, ठीक उसी तरह वह शराब पीने का आदी हो जाता है।

- प्रोफेसर उदय जैन, पूर्व विभागाध्यक्ष, बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी

डिप्रेसेंट है शराब

ज्यादातर लोगों का मानना है कि शराब उत्प्रेरक का काम करती है यानी व्यक्ति को उत्तेजित या उन्मादी बना देती है, लेकिन ऐसा नहीं है। दरअसल शराब एक डिप्रेसेंट है। यह जैसे ही शरीर में जाती है, उसकी हर गतिविधि को धीमा कर देती है। आपके शरीर में मौजूद खून में क्.क्५ प्रतिशत अल्कोहल भी उसमें मिल जाए तो स्थिति नियंत्रण के बाहर हो जाती है। ऐसे में व्यक्ति यदि किसी बात से परेशान है तो वह बात धीरे-धीरे विकराल रूप धारण कर लेती है। सीहोर जिले के इछावर मामले मंे भी यही हुआ। व्यक्ति की दो पत्नियों से पांच बेटियां थीं। गरीब होने के कारण उनके भरण-पोषण से लेकर शादी तक की जिम्मेदारी उठाने मंे वह खुद को असमर्थ महसूस कर रहा होगा। संभवत: इसी कारण वह अवसाद में होगा। जब उसने शराब पी तो उसकी चिंता गुस्से में तब्दील हो गई। शराब और गुस्से का असर यह हुआ कि उसने निर्ममता से अपनी पांच बेटियों को मार डाला।

-डॉ. विनय मिश्रा, मनोविश्लेषक

वॉर्निंग साइन

इसके लिए स्ट्रेटलाइन टेस्ट होता है। इसमें आप जमीन पर सीधी लाइन खींचें और व्यक्ति को उस पर चलने के लिए कहें। यदि सीधी लाइन पर चलते वक्त उसके कदम लड़खड़ाने लगते हैं तो इसका मतलब है कि वह नशे में धुत है।

सुबह उठने के बाद व्यक्ति को याद ही नहीं रहता कि बीती रात क्या हुआ? मसलन उसने किसी से फोन पर बात की या किसी से झगड़ा हुआ। यहां तक कि उसे यह भी ध्यान नहीं रहता कि वह घर कब लौटा और कब उसे नींद लगी। इसे मेडिकल भाषा में मॉर्निग ब्लैंक कहते हैं।

शराब के आदी कुछ लोगों में मॉर्निग ड्रिंकिंग का चलन भी है। सुबह उठते से ही उन्हें शराब की जरूरत महसूस होती है। शराब का सेवन किए बिना उनके सिर या शरीर में दर्द भी हो सकता है।

कहां, कैसा असर और दुष्प्रभाव

तंत्रिका तंत्र

शराब तंत्रिका तंत्र में प्रभाव डालती है। इससे ब्रेन हैमरेज हो सकता है। अधिक मात्रा में शराब पीने से लकवा मार सकता है या मौत भी हो सकती है। तंत्रिका तंत्र के प्रभावित होने से अंगों पर दिमाग का नियंत्रण कम हो सकता है। अधिक शराब पीने से यह समस्या स्थायी भी हो सकती है।

रक्त संचरण

पेट में शराब के पहुंचते ही उसका खून में मिलना शुरू हो जाता है। यह खून में मौजूद श्वेत रक्त कणिकाओं को खत्म करने लगती है। इससे ब्लड प्रेशर कम होने लगता है, जिससे बेहोशी छाने लगती है।

पेट

शराब जीभ की स्वाद कलिकाओं और लार बनने को भी प्रभावित करती है। पाचन प्रक्रिया खराब हो जाती है। ऐसा होने पर भोजन नहीं पचता है और उल्टी होने लगती है। आंतों में सूजन आ जाती है और आंत
का कैंसर हो सकता है।

कॉर्टेक्स

शराब से मस्तिष्क के अग्रभाग कॉर्टेक्स की कार्यप्रणाली बाधित होती है। यह हिस्सा सोचने और समझने की क्षमता के लिए जिम्मेदार होता है। ऐसे में व्यक्ति को सही-गलत का ध्यान नहीं रहता। ऐसे में नशे का शिकार व्यक्ति दूसरो को क्या खुद को भी नुकसान पहुंचाता है और उसे इसका पता नहीं होता।

हृदय

हृदय पर चर्बी की परत जमने लगती है और इसका आकार और भार बढ़ने लगता है। ऐसा होने पर शराब पीने वाले की हृदय गति धीमी या अनियमित हो जाती है।

लिवर

शराब से लिवर में सूजन आ सकती है और इसके लिवर सिरोसिस तक हो सकता है। सूजन के अधिक बढ़ने पर लिवर में बेतहाशा दर्द होता है। इसके साथ ही किडनी पीली होने लगती है। इसका प्रभाव पीने वाले की आंखों पर दिखाई देने लगता है। अल्कोहल का मनुष्य के पूरे यूरीन सिस्टम पर प्रभाव पड़ता है।

Sunday, May 9, 2010

बड़े बाबा और ‘बड़े’

amarnathअमरनाथ यात्रा इस बार इस 1 जुलाई से शुरू होगी और 24 अगस्त रक्षाबंधन को समाप्त होगी। अमरनाथ हिंदुओं का प्रमुख तीर्थस्थल है। कश्मीर राज्य के श्रीनगर के उत्तर-पूर्व में 3888 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह गुफा ११ मीटर ऊंची है। यहां की प्रमुख विशेषता है कि पवित्र गुफा में बर्फ से प्राकृतिक शिवलिंग का निर्माण और शिव द्वारा माता पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताना है। प्राकृतिक बर्फ से निर्मित होने के कारण इस शिवलिंग को स्वयंभू हिमानी शिवलिंग कहते हैं। आषाढ़ पूर्णिमा से शुरू होकर रक्षाबंधन तक पूरे सावन के महीने में होने वाले पवित्र हिमलिंग के दर्शन करने के लिए लाखों लोग यहां आते हैं। गुफा की परिधि करीब १५क् फुट है और इसमें ऊपर से पानी की बूंदें (इतनी ठंडी कि गिरते ही बर्फ बन जाएं) टपकती हैं।

चमत्कारी शिवलिंग

पानी की टपकती बूंदों से ही शिवलिंग का निर्माण होता है। यह शिवलिंग करीब १क् फुट ऊंचा बनता है। हालांकि, इस बार शिवलिंग करीब 18 फुट ऊंचा बना है। गुफा में कच्ची बर्फ रहती है जो हाथों में लेते ही यह टूट जाती है, जबकि चमत्कारिक रूप से शिवलिंग ठोस बर्फ का बना होता है। ऐसा कैसे होता है यह वैज्ञानिक भी नहीं जानते। इतना ही नहीं शिवलिंग का आकार भी चंद्रमा के घटने-बढ़ने के साथ ही घटता-बढ़ता रहता है। श्रावण पूर्णिमा को शिवलिंग पूर्ण आकार में आ जाता है और अमावस्या तक धीरे-धीरे छोटा हो जाता है। मूल अमरनाथ शिवलिंग से कई फुट दूर गणोश, भैरव और पार्वती के वैसे ही अलग-अलग हिमखंड हैं।

वैज्ञानिक भी हुए फेल

विज्ञान कहता है कि बर्फ के बनने और उसके जमे रहने के लिए करीब शून्य डिग्री के आसपास तापमान रहना चाहिए। मगर, जून से शुरू होने वाली अमरनाथ यात्रा के दौरान वहां का तापमान कभी भी शून्य के नीचे नहीं रहता है। पारा हिमांक (वह बिंदु जहां पानी जमकर बर्फ बन जाता है) से नीचे हफ्ते में कभी एक आध बार बर्फबारी होने पर ही जाता है।

कुछ वैज्ञानिकों ने अमरनाथ में शिवलिंग के जमने के कारण को जानने के लिए वहां अध्ययन किया। वैज्ञानिकों ने पाया कि अमरनाथ की गुफा की दीवारें रंध्र (छेद) हैं। इस वजह से ठंडी हवा गुफा में सकरुलेट करती रहती हैं। इस वजह से दीवार के पास बर्फ जम जाती है। हालांकि, इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सका है कि अगर ऐसा है तो गुफा में एक ही शिवलिंग क्यों बनता है? वहां कई सारे शिवलिंग बन जाने चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं होता है।

एक आदमी यानी 100 वाट का बल्ब

दरअसल, पिछले कुछ वर्षो में आधिकारिक यात्रा शुरू होने से पहले ही हजारों लोग अमरनाथ के दर्शन कर लेते थे। वे धूप, दीप जलाने और पास से शिवलिंग को स्पर्श करते थे। हेलीकॉप्टर भी गुफा तक चला जाता था। इससे शिवलिंग जल्दी पिघल जाता था। बाबा को बचाने के लिए श्राइन बोर्ड द्वारा की गई कवायदें अब रंग ला रही हैं। हेलीकॉप्टर पंचतरणी के आगे नहीं जाने दिया जा रहा है। इसके साथ ही गुफा में एक साथ कई लोगों के प्रवेश से गर्मी बढ़ जाती है। वहां लोगों की भीड़ के कारण एक आदमी करीब १क्क् वाट के बल्ब जितनी ऊष्मा निकालता था। इससे जल्द ही शिवलिंग जल्दी पिघल जाता था। मगर, पिछले साल से लोगों को शिवलिंग तक जाने से प्रतिबंधित करने के लिए लोहे की सलाखें लगा दी गई। यही वजह है इस बार शिवलिंग 18 फीट लंबा बना है।

13 वर्षो से जा रहे हैं

अमरनाथ की 13 साल से यात्रा कर रहे भोपाल के महेंद्र दीक्षित बताते हैं कि साधारण तरीके से यात्रा में करीब 3 हजार रुपए का खर्च आता है। खाने की चिंता मत करें। कैंप में शुद्ध भोजन फ्री में मिलता है। यात्रा में जाने से पहले श्राइन बोर्ड से रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है। रजिस्ट्रेशन जम्मू और कश्मीर बैंक करती है, जिसमें करीब 30 रुपए का खर्च आता है। इसमें बीमा भी शामिल है। बालटाल से पंचकरनी तक हेलीकॉप्टर से जाने का खर्चा करीब 6 हजार रुपए है।

पहली बार फोन पर बातें

अमरनाथ गुफा के नीचे भक्तों के ठहरने के लिए टैंट एवं प्री फेब्रीकेटिड हट्स बनाए गए हैं। साथ ही इस बार भक्त यात्रा के दौरान परिजनों से भी बातचीत कर सकेंगे। यह सुविधा बीएसएनएल सैटेलाईट के जरिए देगा। बीएसएनएल पहलगांव मार्ग पर 9 और बालटाल मार्ग पर 2 बीटीएस स्थापित करेगा। सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस वर्ष सुरक्षाबलों की 130 अतिरिक्तकंपनियां तैनात की जाएंगी। सेना, अर्ध-सैनिक बल एवं राज्य पुलिस की करीब 100 कंपनियां कश्मीर में और 30 कंपनियां जम्मू तथा राष्ट्रीय राजमार्ग पर सुरक्षा के लिए तैनात की जाएंगी।

मुस्लिम ने खोजी गुफाश्रद्धालुओं की यह मान्यता है कि इसी गुफा में माता पार्वती को भगवान शिव ने अमरकथा सुनाई थी। इस कथा को सुनकर कबूतर का जोड़ा भी अमर हो गया जो अब भी गुफा में दिखता है। ऐसी मान्यता है कि जिन लोगों को कबूतरों का जोड़ा दिखाई दे जाता है उन्हें शिव-पार्वती दर्शन देते हैं और भक्तों को मुक्ति मिल जाती है।

कुछ विद्वानों का मानना है कि पार्वती को अमरकथा सुनाने ले जाते हुए शिव ने जिसे जहां छोड़ा वह जगह उसी के नाम से प्रसिद्ध हुई। अनंत नागों को जहां छोड़ा वह अनंतनाग बन गया। ऐसे ही माथे के चंदन को छोड़ने की जगह चंदनबाड़ी, पिस्सुओं को छोड़ने की जगह पिस्सू टॉप पर और शेषनाग को छोड़ने की जगह शेषनाग स्थल बन गया। इस गुफा का सबसे पहले पता १६वीं शताब्दी के पूर्वाध में बोटा मलिक नाम के एक मुस्लिम गड़रिये को चला था। आज भी जितना चढ़ावा अमरनाथ में आता है उसका चौथाई हिस्सा गड़रिये के वंशजों को जाता है।

Sunday, March 28, 2010

रियल लाइफ़ : मौत की उड़ान


यह एक ऐसे जांबाज पायलट की सच्ची कहानी है, जिसने ऐसे क्षणों में भी अपना विवेक नहीं खोया, जब मृत्यु उसके बिल्कुल सामने थी। अपने हौसले और सोच के बल पर उसने अपने समेत 170 यात्रियों को सकुशल धरती पर उतार दिया...



जहाज अकाश में उठ चुका था कि विमान-चालक को वायरलैंस पर संदेश मिला, ‘तुम्हारे जहाज़ का लैंडिग-गियर जल गया है। तीनों पहियों के टायर भी ज़ल गए है।’



‘ तुम क्या करना चाहते हो?’



रेड़ियों पर प्रश्न पर प्रश्न पूछे जा रहे थे, किंतु आई गोर वज़क मौन था। टीयू 112 का पायलट आईगोर वज़क एक सौ सत्तर यात्रियों को लिए पांच हज़ार मील की लंबी उड़ान के लिए प्रस्थान कर चुका था। वह अभी कठिनता से डेढ़ हज़ार गज़ ही चला था और मास्को अभी पांच हज़ार मील दूर था।



तभी हवाई-अड्डे के कंट्रोल-रूम से आवाज़ आई, ‘तुम्हारे जहाज़ का लैंड़िग-गीयर जल गया है और तीनों टायर भी ज़ल गए है।’ किंतु अब जहाज़ तेज़ रफ्तार हो चुका था। ‘तुम्हारा क्या फैसला है?’ कंट्रोल-रूम से ऑपरेटर पूछ रहा था। पायलट अब भी चुपचाप था। वह अकेला नहीं था। उसके साथ 170 लोगों का जीवन जुड़ा हुआ था। क्या जहाज़ को उतारा जाए? पायलट ने सोचा, किंतु पहिए ख़राब हो चुके हैं। यात्रियों को इस बात का पता ही न था कि मृत्यु उनके कितने समीप आ गई है।’



कंट्रोल-रूम में बैठे हुए लोगों ने सुना, ‘हम उड़ान जारी रखेंगे,’ जहाज़ का पायलट एक फ़ैसला कर चुका था। टीयू112 आकाश में बहुत ऊंचा उठ चुका था। अभी पूरे नौ घंटे की उड़ान बाक़ी थी। भय और आशंका के नौ घंटे। फ़ैसला कर लेने के बाद विमान-चालक के हाथ एक क्षण भी नहीं कांपे। पाइलेट जहाज़ उड़ा तो रहा था, पर आने वाले ख़तरे के विचारों से उसका दिमाग़ भरा हुआ था। शायद उसके हाथ अपने आप पुरज़ों पर चल रहे थे। समय बीतता जा रहा था। धरती बड़ी तेज़ी से पीछे छूटती जा रही थी। आई गोर वज़क संभलकर बैठ गया। निर्णयात्मक समय आने वाला था। कुछ ही देर बाद जहाज़ को उतरना था और उस क्षण के बारे में वह पूरे नौ घंटे से सोच रहा था। बिना पहियों के जहाज़ को धरती पर कैसे उतारा जाए?



उधर मास्को के हवाई अड्डे पर भी अफ़सरों के दिमाग़ में बार-बार यहीं प्रश्न था कि बिना पहियों के जहाज़ को कैसे धरती पर उतारा जाएगा? सबकी नज़रें आकाश की ओर उठी हुई थीं। उन उठी हुई नज़रों में दो आंखें डाइना की भी थीं। हां, आई गोर वज़क की पत्नी डाइना उसी हवाई अड्डे पर काम करती थी। उसकी आंखों में आंसू छलक आए थे।



‘टीयू112 उतरने ही वाला है। एंबुलैंस और फायर-ब्रिगेड के इंजन तैयार रहें,’ वज़क चाहता था कि ईंधन समाप्त हो जाए ताकि दुर्घटना होने पर भी जहाज़ में धमाका न हो। इसलिए उसने हवाई-अड्डे के चक्कर लगाने शुरू कर दिए। वज़क ने सोचना बंद कर दिया और धीरे से बाएं लीवर को दबा दिया। आगे के पहिए ने धीरे से धरती को छू लिया था। अब दूसरा पहिया भी धरती पर दौड़ रहा था। वह अपनी सारी ताकत से जहाज़ को उसी ऊंचाई पर उड़ाने का प्रयत्न कर रहा था। यदि जहाज़ थोड़ा-सा भी एक ओर झुक जाता है, तो टूटा हुआ पहिया पक्की धरती से टकराते ही जहाज़ में आग लग सकती है। उसने जहाज़ का इंजन बंद कर दिया। जहाज़ की गति कम होती गई और नंगे पहियों ने धरती को आख़िर छू ही लिया। घायल पक्षी-सा टीयू 112 जैसे थक कर रूक गया। ज़िंदगी जीत गई थी। उसने मौत को पराजय दे दी थी।



उठी हुई आंखें..



सबकी नजरें आकाश की ओर उठी हुई थीं। उन उठी हुई नÊारों में दो आंखें डाइना की भी थीं। हां, आई गोर वजक की पत्नी डाइना उसी हवाई अड्डे पर काम करती थी। उसकी आंखों में आंसू छलक आए थे। टीयू112 उतरने ही वाला है था..।