Sunday, June 13, 2010

शैतान बना देती है शराब..!

Tawaniya Network
First Published 10:00[IST](13/06/2010)
Last Updated 10:51 AM [IST](13/06/2010)
विशेषः अल्कोहल अनाज, फलों और सब्जियों को खमीरीकृत करके एक विशेष प्रक्रिया से बनाई जाती है। इसमें बैक्टीरिया खाने की शक्कर को अल्कोहल या शराब में बदल देते हैं। अल्कोहल के कई प्रकार होते हैं और इसे क्लीनर या एंटीसेप्टिक की तरह भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

शराब के तौर पर एथेनॉल का प्रयोग किया जाता है। शराब का नशा सिर्फ पीने वाले को ही नहीं उससे जुड़े हर व्यक्ति पर असर डालता है। यह उस शैतान की तहर है जो इंसान को बाहर से हैवान बना देती है और अंदर ही अंदर उसे खोखला भी कर देती है। दक्षिण अफ्रीका में चल रहे फीफा वर्ल्ड कप में खिलाड़ियों के शराब पीने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। गुजरात देश का एक मात्र राज्य है, जहां शराब पर प्रतिबंध लगा हुआ है। इसके साथ ही मुस्लिम धर्म में भी शराब पीना प्रतिबंधित है।

हर हिस्से पर प्रभाव शराब जैसे ही मुंह में पहुंचती है, जीभ में मौजूद स्वाद इंद्रियां सक्रिय हो जाती हैं। शराब तेजी से गले से होती हुई छोटी आंत फिर बड़ी आंत में पहुंचती है। यहां अवशोषित होने के बाद खून में मिलती है और यहीं से शरीर के हर हिस्से को प्रभावित करती है। इसके कारण शरीर की क्रियाविधि को नियंत्रित करने वाला तंत्रिका तंत्र प्रभावित होने लगता है। इसके कारण शरीर द्वारा दिमाग को भेजे जाने वाले कुछ संदेश प्रभावित होने लगते हैं। इसकी वजह से व्यक्ति की भावनाओं, हरकतों, देखने, सुनने और विचारों को बदल देता है।

घंटों रहती है शरीर में

शराब का १क् प्रतिशत हिस्सा सांस, पसीने और मूत्र के द्वारा शरीर से बाहर निकल जाता है। शराब का शेष भाग चयापचय (मेटाबोलिक) की प्रक्रिया में टूट जाता है। लिवर एंजाइम्स के जरिए शराब को पचाता है। हालांकि, इस दौरान लिवर काफी कम मात्रा का चयापचय कर पाता है और शेष शराब खून के जरिए शरीर में घूमती रहती है। शराब के चयापचय की दर पीने वाले के वजन, उसकी लंबाई, लिंग, जाति, कितनी तेजी से शराब पी गई है और अन्य बातों पर निर्भर करती है। शराब के चयापचय की दर ब्लड अल्कोहल कंसनट्रेशन (बीएसी) .क्१५ प्रति घंटे के हिसाब से होती है। यानी अगर किसी व्यक्ति ने क्१. बीएसी अल्कोहल लिया है तो उसके पचने में ६.६६ घंटे का समय लगेगा।

दुनिया में आगे भारत

भारत दुनिया में सबसे अधिक शराब का उत्पादन करने वाले देशों में से एक है। पिछले १५ वर्षो में देश में शराब का उत्पादन तेजी से बढ़ा है और वर्तमान में यह २,३क्क् मिलियन लीटर से अधिक हो चुका है। दक्षिण-पूर्वी एशिया में भारत की उत्पादन में हिस्सेदारी ६५ फीसदी से अधिक है। आंध्र प्रदेश, पंजाब, गोवा और उत्तरी भारत में शराब पीने की दर सबसे अधिक है।

असम, अरुणांचल प्रदेश, सिक्किम और पूर्वोत्तर, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ में देश के अन्य हिस्सों की तुलना में महिलाएं अधिक शराब पीती हैं। उधर, सुप्रीम कोर्ट ने युवाओं के नशे के चंगुल में फंसते जाने पर चिंता जताई है। कोर्ट का कहना है कि राज्यशराब पर प्रतिबंध लगाने में गंभीर दिखते हैं, लेकिन उन्हें लागू नहीं करते हैं। दिल्ली के एक्साइज कमिश्नर के अनुसार, शराब उद्योग से राजस्व के रूप में २७,७७८ करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त होता है। अगर शराब पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा तो राज्यों को हजार करोड़ रुपए का वर्षिक नुकसान होगा।

भ्रामक तथ्य मैं जब चाहूंगा, छोड़ दूंगा।

हो सकता है कि आप शराब छोड़ सकते हों, लेकिन अधिकतर लोग जब चाहें तब शराब पीना नहीं छोड़ सकते। नियमित रूप से शराब पीने वाले पीने के लिए कोई न बहाना बनाएंगे।

शराब मेरी समस्या है, मैं दूसरों को नुकसान नहीं पहुंचाता।

आपके शराब पीने से सिर्फ आपको ही नहीं पूरे परिवार को नुकसान होता है। यह नुकसान आर्थिक और सामजिक दोनों तरह से होता है। शराब पीकर अगर आप लड़ाई-झगड़ा नहीं करते हैं और सोचते हैं कि किसी को कोई नुकसान नहीं है तो भी आप कम से कम अपने शरीर के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं, जो आगे आपको बीमार बना देगा।

मैं रोज नहीं पीता हूं, तो मैं अल्कोहलिक नहीं हूं।

अल्कोहलिक होने का यह अर्थ नहीं है कि आप क्या पीते हैं, कितना पीते हैं और कब पीते हैं। अगर आपके पीने से आपके जीवन में समस्याएं हो रहीं हैं आपके परिवार को समस्या हो रही है या फिर सामाजिक क्षति हो रही है तो आप अल्कोहलिक हैं।

नहीं रहती निर्णय लेने की क्षमता

शराब पूरे शरीर का सिस्टम बिगाड़ देती है। खासतौर पर यह व्यक्ति की सोच और निर्णय लेने की क्षमता को बुरी तरह प्रभावित करती है। उसका नजरिया एकदम बदल जाता है। इसके कारण व्यक्ति की पेशीय गतिविधियांे पर भी असर पड़ता है। यानी उसके हाथ के मूवमेंट्स, बोलने की क्षमता तक बुरी तरह प्रभावित हो जाती है। इसलिए शराब पीने के बाद ड्राइविंग करने को मना किया जाता है। हालांकि ये सारी बातें व्यक्ति द्वारा ली जाने वाली शराब की मात्रा पर भी निर्भर करती है। धीरे-धीरे शराब पीना शरीर की जरूरत बन जाता है। यह किसी दवा की तरह ही है। जैसे व्यक्ति को नींद की गोली लेने की आदत पड़ जाती है, ठीक उसी तरह वह शराब पीने का आदी हो जाता है।

- प्रोफेसर उदय जैन, पूर्व विभागाध्यक्ष, बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी

डिप्रेसेंट है शराब

ज्यादातर लोगों का मानना है कि शराब उत्प्रेरक का काम करती है यानी व्यक्ति को उत्तेजित या उन्मादी बना देती है, लेकिन ऐसा नहीं है। दरअसल शराब एक डिप्रेसेंट है। यह जैसे ही शरीर में जाती है, उसकी हर गतिविधि को धीमा कर देती है। आपके शरीर में मौजूद खून में क्.क्५ प्रतिशत अल्कोहल भी उसमें मिल जाए तो स्थिति नियंत्रण के बाहर हो जाती है। ऐसे में व्यक्ति यदि किसी बात से परेशान है तो वह बात धीरे-धीरे विकराल रूप धारण कर लेती है। सीहोर जिले के इछावर मामले मंे भी यही हुआ। व्यक्ति की दो पत्नियों से पांच बेटियां थीं। गरीब होने के कारण उनके भरण-पोषण से लेकर शादी तक की जिम्मेदारी उठाने मंे वह खुद को असमर्थ महसूस कर रहा होगा। संभवत: इसी कारण वह अवसाद में होगा। जब उसने शराब पी तो उसकी चिंता गुस्से में तब्दील हो गई। शराब और गुस्से का असर यह हुआ कि उसने निर्ममता से अपनी पांच बेटियों को मार डाला।

-डॉ. विनय मिश्रा, मनोविश्लेषक

वॉर्निंग साइन

इसके लिए स्ट्रेटलाइन टेस्ट होता है। इसमें आप जमीन पर सीधी लाइन खींचें और व्यक्ति को उस पर चलने के लिए कहें। यदि सीधी लाइन पर चलते वक्त उसके कदम लड़खड़ाने लगते हैं तो इसका मतलब है कि वह नशे में धुत है।

सुबह उठने के बाद व्यक्ति को याद ही नहीं रहता कि बीती रात क्या हुआ? मसलन उसने किसी से फोन पर बात की या किसी से झगड़ा हुआ। यहां तक कि उसे यह भी ध्यान नहीं रहता कि वह घर कब लौटा और कब उसे नींद लगी। इसे मेडिकल भाषा में मॉर्निग ब्लैंक कहते हैं।

शराब के आदी कुछ लोगों में मॉर्निग ड्रिंकिंग का चलन भी है। सुबह उठते से ही उन्हें शराब की जरूरत महसूस होती है। शराब का सेवन किए बिना उनके सिर या शरीर में दर्द भी हो सकता है।

कहां, कैसा असर और दुष्प्रभाव

तंत्रिका तंत्र

शराब तंत्रिका तंत्र में प्रभाव डालती है। इससे ब्रेन हैमरेज हो सकता है। अधिक मात्रा में शराब पीने से लकवा मार सकता है या मौत भी हो सकती है। तंत्रिका तंत्र के प्रभावित होने से अंगों पर दिमाग का नियंत्रण कम हो सकता है। अधिक शराब पीने से यह समस्या स्थायी भी हो सकती है।

रक्त संचरण

पेट में शराब के पहुंचते ही उसका खून में मिलना शुरू हो जाता है। यह खून में मौजूद श्वेत रक्त कणिकाओं को खत्म करने लगती है। इससे ब्लड प्रेशर कम होने लगता है, जिससे बेहोशी छाने लगती है।

पेट

शराब जीभ की स्वाद कलिकाओं और लार बनने को भी प्रभावित करती है। पाचन प्रक्रिया खराब हो जाती है। ऐसा होने पर भोजन नहीं पचता है और उल्टी होने लगती है। आंतों में सूजन आ जाती है और आंत
का कैंसर हो सकता है।

कॉर्टेक्स

शराब से मस्तिष्क के अग्रभाग कॉर्टेक्स की कार्यप्रणाली बाधित होती है। यह हिस्सा सोचने और समझने की क्षमता के लिए जिम्मेदार होता है। ऐसे में व्यक्ति को सही-गलत का ध्यान नहीं रहता। ऐसे में नशे का शिकार व्यक्ति दूसरो को क्या खुद को भी नुकसान पहुंचाता है और उसे इसका पता नहीं होता।

हृदय

हृदय पर चर्बी की परत जमने लगती है और इसका आकार और भार बढ़ने लगता है। ऐसा होने पर शराब पीने वाले की हृदय गति धीमी या अनियमित हो जाती है।

लिवर

शराब से लिवर में सूजन आ सकती है और इसके लिवर सिरोसिस तक हो सकता है। सूजन के अधिक बढ़ने पर लिवर में बेतहाशा दर्द होता है। इसके साथ ही किडनी पीली होने लगती है। इसका प्रभाव पीने वाले की आंखों पर दिखाई देने लगता है। अल्कोहल का मनुष्य के पूरे यूरीन सिस्टम पर प्रभाव पड़ता है।