Monday, May 1, 2017

रिक्शेवाले ने बेटे को बनाया IAS, कभी दोस्त के पिता ने किया था बेइज्जत

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वाराणसी. 1 मई को इंटरनेशनल लेबर डे है। dainikbhaskar.com एक ऐसे रिक्शा चालक के बारे में बताने जा रहा है, जिसने अपने बेटे को IAS बनाया। बेटे का कहना है कि पिता ने कभी भी कोई कमी महसूस नहीं होने दी। वो खुद भूखा रहकर मेरा पेट भरते थे।

लोग देते थे ताने, ये रिक्शेवाला बेटे को IAS बनाएगा ?

- वाराणसी के रहने वाले नारायण जायसवाल ने बताया, ''मेरी 3 बेटी (निर्मला, ममता, गीता) और एक बेटा गोविंद है। अलईपुरा में हम किराए के मकान में रहते थे। मेरे पास 35 रिक्शे थे, जिन्हें किराए पर चलवाता था।''
- ''सब ठीक चल रहा था, इसी बीच पत्नी इंदु को ब्रेन हैमरेज हो गया, जिसके इलाज में काफी पैसे खर्च हो गए। 20 से ज्यादा रिक्शे बेचने पड़े, लेकिन वो नहीं बची।''
- ''पत्नी की मौत के समय बेटा गोविंद 7th क्लास में था। लेकिन मैंने हिम्मत नहीं छोड़ी। तीनों बेट‍ियों की शादी में सारे रिक्शे बिक गए, सिर्फ एक रिक्शा बचा, जिसे मैंने खुद चलाना शुरू किया, ताकि गोविंद की पढ़ाई अच्छे से हो सके।''
- ''पैसे नहीं थे, इसलिए बेटे के लिए सेकेंड हैंड किताबें खरीदकर लाता था। कई बार हम दोनों ने सूखी रोटी खाकर रात काटी, लेकिन बेटे ने कभी किसी चीज की मांग नहीं की। मैं खुद उसे रिक्शे पर बैठाकर स्कूल छोड़ने जाता था। लोग ताने भी देते थे कि देखो ये रिक्शेवाला बेटे को IAS बनाएगा ?''
- ''हरिश्चंद्र महाविद्यालय से ग्रेजुएशन करने के बाद 2006 में गोविंद सिविल सर्विस की तैयारी के लिए दिल्ली चला गया। वहां उसने ट्यूशन पढ़ाकर खुद का खर्च निकाला। 2007 में वो पहले ही अटेम्पट में IAS के लिए सिलेक्ट हो गया।''
- गोविंद की बड़ी बहन ममता कहती हैं, ''भाई बचपन से ही पढ़ने में तेज था। मां के देहांत के बाद भी उसने पढ़ाई नहीं छोड़ी। उसके दिल्ली जाने के बाद पिता जी बड़ी मुश्क‍िल से पढ़ाई का खर्च भेज पाते थे। घर की हालत देख भाई ने चाय और एक टाइम का टिफिन भी बंद कर दिया था।''

जब दोस्त के पिता ने धक्के मारकर कर दिया था घर से बाहर


- गोविन्द ने बताया, ''बचपन में एक बार दोस्त के घर खेलने गया था, उसके पिता ने मुझे कमरे में बैठा देख धक्के मारकर बाहर कर दिया और बोला- दोबारा घर में घुसने की हिम्मत न करना। उन्होंने ऐसा सिर्फ इसलिए किया क्योंकि मैं रिक्शाचालक का बेटा था।''
- ''उस दिन से किसी भी दोस्त के घर जाना बंद कर दिया। उस समय मेरी उम्र 13 साल थी, लेकिन उसी दिन ठान लिया कि मैं IAS ही बनूंगा, क्योंकि यह सबसे ऊंचा पद होता है।''
- ''हम 5 लोग एक ही रूम में रहते थे। पहनने के लिए कपड़े नहीं थे। बहन को लोग दूसरों के घर बर्तन माजने के ताने देते थे। बचपन में दीदी ने मुझे पढ़ाया।''
- ''दिल्ली जाते समय पिता जी ने गांव की छोटी सी जमीन बेच दी। इंटरव्यू से पहले बहनों ने बोला था कि अगर सिलेक्शन नहीं हुआ तो परिवार का क्या होगा। फिर भी मैंने हिम्मत नहीं हारी और फैमिली के विश्वास को अपना लक्ष्य बना लिया।''
- ''आज मैं जो कुछ भी हूं पिता जी की वजह से हूं। उन्होंने मुझे कभी अहसास नहीं होने दिया कि मैं रिक्शेवाले का बेटा हूं।''
- बता दें, गोविंद जायसवाल 2007 बैच के IAS हैं। उनका फर्स्ट अटेम्ट में ही 48वां रैंक आया था। वर्तमान में वह गोवा में 3 पद सेकेट्री फोर्ट, सेकेट्री स्किल डेवलपमेंट और इंटलीजेंस के डायरेक्टर पद पर तैनात हैं। इनकी शादी 2011 में IPS चंदन से हुई थी, वो भी गोवा में ही तैनात हैं।
- किराए के एक कमरे में रहने वाला गोविंद का परिवार अब वाराणसी शहर में बने आलीशान मकान में रहता है।