Thursday, September 17, 2009

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बैंक नोट: वो सबकुछ जो आप हमेशा जानना चाहते थे
विशेषः चारों तरफ जाली नोटों का हल्ला मचा हुआ है। ऐसे में नकली को असली नोटों से अलग कैसे पहचानें, यह तो हम पढ़ते रहे हैं। इसी बीच यह भी प्रश्न खड़ा होता है कि नोटों का मामला आखिर क्या है? इस पूरी नजर..
कौन तय करता है कि कितने छपेंगे?
कब और कितने करेंसी नोट छपने हैं, इसका फैसला रिजर्व बैंक करता है। इसे करेंसी मैनेजमेंट कहते हैं। बैंक किस मूल्य के कितने नोट छापेगा, यह विकास दर, मुद्रास्फीति दर, कटे-फटे नोटों की संख्या और रिजर्व स्टॉक की जरूरतों पर निर्भर करता है। करेंसी नोट की मांग का पता लगाने के लिए सांख्यिकीयविधियों का सहारा लिया जाता है।
इन्हें कहां पर छापा जाता है स्याही, कागज कहां का?

देश में चार बैंक नोट प्रेस, चार टकसाल और एक पेपर मिल है। नोट प्रेस मध्यप्रदेश के देवास, नासिक, सालबोनी और मैसूर में हैं। 1000 के नोट मैसूर में छपते हैं। देवास की नोट प्रेस में एक साल में 265 करोड़ नोट छपते हैं। इनमें 20, 50, 100, 500 रुपए मूल्य के नोट शामिल हैं। देवास में तैयार स्याही का ही उपयोग किया जाता है। मप्र के ही होशंगाबाद में सिक्यूरिटी पेपर मिल है। नोट छपाई पेपर होशंगाबाद और विदेश से आते हैं। जबकि टकसाल मुंबई, हैदराबाद, कोलकाता और नोएडा में हैं।
हम तक करेंसी कैसे पहुंचती है?

रिजर्व बैंक के देशभर में 18 इश्यू ऑफिस हैं। ये अहमदाबाद, बेंगलुरू, बेलापुर, भोपाल, भुवनेश्वर, चंडीगढ़, चेन्नई, गुवाहाटी, हैदराबाद, जयपुर, जम्मू, कानपुर, कोलकाता, मुंबई, नागपुर, नई दिल्ली, पटना व थिरुवनंतपुरम में स्थित हैं। इसके अलावा एक सब-ऑफिस लखनऊ में है। प्रिंटिग प्रेस में छपे नोट सबसे पहले इन ऑफिसों में पहुंचते हैं। यहां से उन्हें कमर्शियल बैंक की शाखाओं को भेजा जाता है।
बेकार हो चुके नोटों को कहां जमा करते हैं?

नोट तैयार करते वक्त ही उनकी ‘शेल्फ लाइफ’ (सही बने रहने की अवधि) तय की जाती है। यह अवधि समाप्त होने पर या लगातार प्रचलन के चलते नोटों में खराबी आने पर रिजर्व बैंक इन्हें वापस ले लेता है। बैंक नोट व सिक्के सर्कुलेशन से वापस आने के बाद इश्यू ऑफिसों में जमा कर दिए जाते हैं। रिजर्व बैंक सबसे पहले इनके असली होने की जांच करता है। उसके बाद इन नोटों को अलग किया जाता है, जो दोबारा जारी किए जा सकते हैं। बेकार हो चुके नोटों को नष्ट कर दिया जाता है। इसी तरह सिक्कों को गलाने के लिए मिंट भेज दिया जाता है।
बैंक नोट क्यों कहते हैं?

रिजर्व बैंक द्वारा जारी किए जाने के कारण इन्हें बैंक नोट कहा जाता है।
कैसे छपते हैं?

विदेश या होशंगाबाद से आई पेपर शीट एक खास मशीन सायमंटन में डाली जाती है। फिर एक अन्य मशीन जिसे इंटाब्यू कहते हैं उससे कलर किया जाता है। यानी कि शीट पर नोट छप जाते हैं। इसके बाद अच्छे और खराब नोट की छटनी हो जाती है। खराब को निकालकर अलग करते हैं। एक शीट में करीब 32 से 48 नोट होते हैं।
कैसे नंबर अंकित करते हैं?

शीट पर छप गए नोटों पर नंबर डाले जाते हैं। फिर शीट से नोटों को काटने के बाद एक-एक नोट की जांच की जाती है। फिर इन्हें पैक किया जाता है। पैकिंग के बाद बंडलों को विशेष सुरक्षा में ट्रेन से भारतीय रिजर्व बैंक तक भेजा जाता है।
क्या खासियत होती है

इनमें?* बैंक नोट की संख्या चमकीली स्याही से मुद्रित होती है। बैंक नोट में चमकीले रेशे होते हैं। अल्ट्रावायलेट रोशनी में दोनों देखे जा सकते हैं।* कॉटन और कॉटन के रेशे मिश्रित एक वॉटरमार्क पेपर पर नोट मुद्रित किया जाता है।* नई श्रंखला वाले 500 और 1000 रुपए मूल्य के नोट की छपाई के लिए प्रति वर्ग सेमी वजन को बढ़ाने के साथ-साथ अधिक मोटाई वाले कागज का उपयोग किया गया है।
कैसे होती है कर्मचारियों की जांच?

नोट छपाई में लगे कर्मचारियों व अफसरों की बिना कपड़ों के जांच की जाती है। इसके सहित वे जांच की चार-पांच कड़ी प्रक्रियाओं से गुजरते हैं।
कहां रखे जाते हैं?

बैंक नोट व रुपए के सिक्के : करेंसी चेस्टछोटे सिक्के : डिपो
कब बड़े नोट हुए बाहर?

वर्ष 1946 तक 1,000 व 10,000 रुपए मूल्य के नोट सकरुलेशन में थे। लेकिन, कालेधन पर नियंत्रण पाने के लिए इसी वर्ष इन्हें डीमॉनीटाइज (इस्तेमाल खत्म) कर दिया गया। वर्ष 1954 में 1,000, 5000 व 10000 रुपए मूल्य के नोट फिर से पेश किए गए। वर्ष 1978 में इन्हें फिर डीमॉनीटाइज कर दिया गया। अब नए सिरे से बाजार में उतरे 1,000 मूल्य के नोट चलन में हैं।
नकली नोट का मुआवजा मिलेगा?

इंग्लैंड के समान भारत में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है कि आपके पास धोखे से आए नकली के बदले आपको मुआवजा मिले। नकली नोटों को नष्ट करना ही अंतिम विकल्प है। नकली नोट मिले तो इसे सीधे किसी बैंक में जाकर सौंप दें। यदि बैंक नोट लेने से इनकार करे तो वहां अधिकारियों को आरबीआई के निर्देशों के बारे में याद दिलाएं। तब बैंक इस नोट पर ‘नकली’ का ठप्पा लगाएगी और पुलिस में एफआईआर भी करेगी।
बैंक नोटों और सिक्कों को एक-एक बार आयातित भी किया ?

गयाबैंक नोटों और सिक्कों की आपूर्ति बढ़ाने के लिए केंद्र ने दो बार उपाय किए हैं। वर्ष 1997, 1998 में मांग-आपूर्ति के अंतर को पूरा करने के लिए सरकार ने केवल एक बारगी उपाय के रूप मे बैंक नोटों को आयातित किया। वहीं वर्ष 2002-2003 में अपने चार टकसालों से होनेवाली आपूर्ति में वृद्धि करने के लिए रुपया सिक्के भी सरकार ने आयातित किए। अब बैंक नोट और सिक्के, दोनों की आपूर्ति की स्थिति ठीक है।
किन की छपाई हुई बंद?

1, 2 व 5 रुपए मूल्य के नोटों की छपाई बंद हो चुकी है। हालांकि, बाजार में अब भी उनका इस्तेमाल हो रहा है और यह कानूनन सही है।
सिक्के कितने बनाने हैं कौन तय करता है?

रिजर्व बैंक से प्राप्त मांग पत्र के आधार पर इसका फैसला भारत सरकार करती है। सिक्के बनाने की इकाई टकसाल यानी मिंट से उनकी लाट हैदराबाद, कोलकाता, मुंबई व नई दिल्ली के रिजर्व बैंक ऑफिसों तक पहुंचाई जाती है।
क्या पॉलीमर नोट उपाय है जाली से बचने का?

जी हां, इन नोटों में ऐसे कई सुरक्षा मानक प्रबंध होते हैं, जो पेपर नोट में नहीं होते। चूंकि पॉलीमर नोट के कई सुरक्षा मानकों की फोटोकॉपी या स्कैनिंग कर दोबारा नहीं बनाया जा सकता, इसलिए इनके नकली नोट बनाना बेहद मुश्किल है। पॉलीमर नोट दोनों तरफ से अलग-अलग रंग के हो सकते हैं। पेपर नोट की तरह इनमें भी वाटरमार्क लगाया जा सकता है। पॉलीमर नोट ‘पॉलीमर बाइएक्सियलीओरिएंटेड पॉलीप्रोपिलीन’ मटेरियल से बनाए जाते हैं।
ज्यादा नोट छापने या मुद्रा का मूल्य गिरने से आखिर कितना बुरा हो सकता है?


तराजू में नोट तोलने पड़े

9/11 के बाद जब अमेरिका ने अफगानिस्तान पर हमला किया तो मुद्रा का मूल्य इतना गिर गया कि सब्जी लेने के बदले तराजू भर कर नोट देना पड़ते थे।
ब्रेड के टुकड़े के लिए10 जनवरी 2009 को जिम्बॉम्बे में मुद्रा का मूल्य इतना गिर गया कि ब्रेड की 2 स्लाइस की कीमत करोड़ों रुपए तक पहुंच गई।