Saturday, November 28, 2009

माथे पर लिखा आपका भविष्य


bhawishyaमाथे के अग्रभाग जिसे ललाट भी कहते हैं, पर बनी रेखाओं से जातक का भविष्य जाना जा सकता है। शिव भक्त रावण मस्तक रेखाओं का अध्ययन करने वाला महान प्रकांड पंडित था। प्राच्य मत के अनुसार मनुष्य के ललाट पर शनि, गुरु, मंगल, सूर्य, शुक्र, बुध और चंद्र सात ग्रहों की सात रेखाएं होती हैं।



यदि मनुष्य के मस्तक पर तीन स्पष्ट अखंडित रेखाएं हों, तो मनुष्य धनवान और संपन्न होता है। यदि मनुष्य का ललाट ऊंचा-नीचा हो, तो जातक दरिद्रता के साए में जीवन गुजारता है। हंसते समय दोनों भृकुटियों के मध्य खड़ी रेखाएं बनती हों, तो ऐसा जातक दयावान, धर्मात्मा एवं सात्विक गुण वाला होता है। ललाट में त्रिशूल, उध्र्व रेखाएं, स्वस्तिक आदि का होना सर्वगुण संपन्न, धन, पुत्र और स्त्री सुख देता है।



आयु का निर्धारण



माथे पर उभरी रेखाओं द्वारा आयु का निर्धारण भी कर सकते हैं। यदि ललाट पर चार अखंडित रेखाएं हैं, तो जातक की आयु 95 वर्ष तक होती है।



ललाट पर अखंडित और कानों तक लंबी रेखाएं होने पर जातक की आयु १क्क् वर्ष तक होती है। यह रेखाएं योगीजन में ज्यादा देखने को मिलती हैं।



यदि ललाट पर पांच स्पष्ट रेखाएं हैं, तो जातक की आयु 70 वर्ष तक होती है। इसके अलावा यदि मस्तक में बहुत छोटी और छिन्न-भिन्न असंख्य रेखाएं हों, तो जातक अनेक प्रकार के दु:खों को भोगने वाला होता है। यदि जातक के ललाट पर मात्र एक गहरी धनुषाकार रेखा हो, तो जातक पर्यटनशील रहता है।



जातक के ललाट पर सर्पाकृति रेखा या दोनों आंखों के मध्य सीधी खड़ी रेखाएं होने पर जातक वक्ता, बलवान और सुंदर होता है। यदि शनि और गुरु की रेखाएं ललाट के ऊपरी भाग में अर्ध चंद्राकर की आकृति होने पर और सूर्य और चंद्र रेखाओं के परस्पर संयोग कर रही हों, तो जातक परम सौभाग्यशाली होता है।



ललाट पर रेखाओं के फल



शानि रेखा



मनुष्य के ललाट पर सबसे पहली रेखा शनि की होती है। यह रेखा यदि स्पष्ट, सीधी, अखंडित है, तो जातक चतुर और बुद्धिमान होता है। यह रेखा यदि टूटी-फूटी हो, तो जातक मूर्ख और चिड़चिड़े स्वभाव का हो जाता है। यदि शनि रेखा टेढ़ी-मेढ़ी और मंगल रेखा धनुषाकार हो, तो जातक गलत आदतों का शिकार होता है और उसका दांपत्य जीवन दु:खभरा होता है।



गुरु रेखा



यह रेखा शनि रेखा के नीचे होती है। यदि यह रेखा स्पष्ट सीधी और अखंडित है, तो जातक धार्मिक, ईमानदार और ज्ञानी होता है। इस रेखा के खंडित होने पर जातक बुद्धिहीन होता है और उसकी स्मरण शक्ति में कमी आ जाती है। गुरु रेखा वृत्ताकार हो, तो जातक सांसारिक कष्टों को भोगता है।



मंगल रेखा



यह रेखा गुरु रेखा के नीचे तीसरी रेखा होती है। अगर यह स्पष्ट सीधी और अखंडित है, तो जातक वीर और साहसी होता है। यदि मंगल रेखा खंडित है, तो जातक कायर होता है और उसमें आत्मविश्वास की बेहद कमी होती है।



बुध रेखा



यदि बुध रेखा अस्पष्ट और अखंडित हो, तो जातक विद्वान, चतुर व्यापारी और श्रेष्ठ वक्ता होता है। दोषपूर्ण होने पर बातूनी और स्वार्थी होता है।



शुक्र रेखा



यदि यह रेखा स्पष्ट और पूर्ण लंबाई वाली हो, तो जातक को पूर्ण दांपत्य सुख प्राप्त होता है। वह सच्च प्रेमी भी होता है। यदि रेखा दूषित है, तो वह प्रेम में धोखा खा सकता है या फिर उसका तलाक हो सकता है।



सूर्य रेखा



दाईं भौंह पर जो रेखा होती है, उसे सूर्य रेखा कहते है। यह रेखा स्पष्ट हो, तो जातक उच्च प्रशासनिक अधिकारी, कूटनीतिज्ञ, राजनेता हो सकता है। यदि यह रेखा टूटी-फूटी हो, तो व्यक्ति को असफलताएं मिलती रहती हैं। साथ ही वह कृपण भी होता है।



चंद्र रेखा



बाईं भौंह पर जो रेखा होती है, उसे चंद्र रेखा कहते हैं। यदि यह रेखा पूर्ण और स्पष्ट हो, तो जातक की खूब यात्राएं होती हैं। जातक कलाप्रेमी, कल्पनाशील हाता है। यदि यह रेखा खंडित हो, तो जातक कठोर हृदय वाला और मंदबुद्धि होता है।

Saturday, October 17, 2009

लक्ष्मी पूजन की कहानी

दीपावली की रात्रि में हमारे देश में लक्ष्मी पूजन करने की प्रथा सदियों पुरानी है। कभी आपने यह सोचा है कि यह पूजन क्यों किया जाता है। इससे सम्बन्धित एक पौराणिक कथा इस प्रकार है, बहुत साल पहले की बात है एक धनवान जमींदार था।
उसकी एक खूबसूरत लड़की थी, जिसका नाम किरण था। किरण प्रतिदिन अपने गांव के मंदिर में पुष्प चढ़ाने जाया करती थी और लौटते वक्त रास्ते में पीपल के पड़ के नीचे कुछ देर ठहर जाया करती थी। वो वहां पीपल के पत्तों से झरती नन्हीं ठंडी बूंदों का आन्नद लिया करती थी।
रोज की तरह उस दिन भी वो पीपल के पेड़ के नीचे ठंडी बून्दों का आन्नद ले रही थी , तभी लाल वस्त्रों में लिपटी एक स्त्री उसके पास आकर बोली -‘किरण प्रतिदिन जो ठंडी बूंदे इस पेड़ से बरसती हैं , वह सब मेरी ही कृपा है। दरअसल मैं पेड़ पर निवास करती हूं , देखो ऊपर मेरा घोंसला है। सुनकर किरण हंसी तो उस स्त्री ने कहा कि मैं चिड़िया नहीं लक्ष्मी हूं ।’
मैं जैसा चाहे रूप बदल सकती हूं। उसी से मैं बहुत प्रसन्न होती हूं और उसके घर पर धन की बरसात करती हूं। फिर उस स्त्री ने कहा कि आज मैं तुम्हें अपनी सखी बनाती हूं चलो मेरे घर। उस स्त्री ने किरण का हाथ पकड़ा और दूसरे ही पल में वह एक विशाल महल में पहुंच गई । वहां उस स्त्री ने उसका भव्य स्वागत किया।
तरह - तरह के व्यंजन खिलाए और सोने के झूले में झुलाते हुए कहा कि - ‘अब से हम दानों पक्की सहेलियां हैं । हां कल मैं तुम्हारे घर खाना खाने आऊंगी । फिर उस स्त्री ने तुरन्त किरण को पेड़ के नीचे लाकर छोड़ दिया। किरण जब देर से घर पहुंची तो पिता ने देरी का कारण पूछा ।
किरण ने सारी बात बताते हुए कहा , मुझे जो स्त्री मिली थी वो लक्ष्मी थी और हां कल अपने यहां खाना खाने आएंगी। लेकिन दूसरे ही पल किरण उदास हो गई। पिता ने पुत्री को समझाया ‘तू चिंता मत कर बेटी । हम अपनी हैसियत के मुताबिक उनका सत्कार अवश्य करेंगे। ’
फिर पिता ने कहा कि तू घर को लीप पोत कर स्वच्छ बना ले। घर में चारों ओर उजाला कर ले’। जब किरण घर की सफाई कर आंगन लीप पोत रही थी तभी आकाश में उड़ती हुई एक चील की चोंच से छूट कर एक नौलखा हार उसके आंगन में आ गिरा ।
यह लक्ष्मी जी की कृपा का फल है, हार को देखकर लड़की के पिता ने हर्ष पूर्ण मुद्रा में कहा। उस हार को बाजार में बेच कर जमींदार ने सोने चांदी के बर्तन खरीदे और रेशमी वस्त्र भी। लक्ष्मी जी जब पास आईं तो उनका शानदार स्वागत पिता पुत्री ने किया।
लक्ष्मी जी प्रसन्न हो कर लौट गईं। लक्ष्मी जी की इसी कृपा को पाने के लिए सर्वत्र पूजा की जाने लगी और घर दीपों से जगमगाने लगे।

Thursday, September 17, 2009

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बैंक नोट: वो सबकुछ जो आप हमेशा जानना चाहते थे
विशेषः चारों तरफ जाली नोटों का हल्ला मचा हुआ है। ऐसे में नकली को असली नोटों से अलग कैसे पहचानें, यह तो हम पढ़ते रहे हैं। इसी बीच यह भी प्रश्न खड़ा होता है कि नोटों का मामला आखिर क्या है? इस पूरी नजर..
कौन तय करता है कि कितने छपेंगे?
कब और कितने करेंसी नोट छपने हैं, इसका फैसला रिजर्व बैंक करता है। इसे करेंसी मैनेजमेंट कहते हैं। बैंक किस मूल्य के कितने नोट छापेगा, यह विकास दर, मुद्रास्फीति दर, कटे-फटे नोटों की संख्या और रिजर्व स्टॉक की जरूरतों पर निर्भर करता है। करेंसी नोट की मांग का पता लगाने के लिए सांख्यिकीयविधियों का सहारा लिया जाता है।
इन्हें कहां पर छापा जाता है स्याही, कागज कहां का?

देश में चार बैंक नोट प्रेस, चार टकसाल और एक पेपर मिल है। नोट प्रेस मध्यप्रदेश के देवास, नासिक, सालबोनी और मैसूर में हैं। 1000 के नोट मैसूर में छपते हैं। देवास की नोट प्रेस में एक साल में 265 करोड़ नोट छपते हैं। इनमें 20, 50, 100, 500 रुपए मूल्य के नोट शामिल हैं। देवास में तैयार स्याही का ही उपयोग किया जाता है। मप्र के ही होशंगाबाद में सिक्यूरिटी पेपर मिल है। नोट छपाई पेपर होशंगाबाद और विदेश से आते हैं। जबकि टकसाल मुंबई, हैदराबाद, कोलकाता और नोएडा में हैं।
हम तक करेंसी कैसे पहुंचती है?

रिजर्व बैंक के देशभर में 18 इश्यू ऑफिस हैं। ये अहमदाबाद, बेंगलुरू, बेलापुर, भोपाल, भुवनेश्वर, चंडीगढ़, चेन्नई, गुवाहाटी, हैदराबाद, जयपुर, जम्मू, कानपुर, कोलकाता, मुंबई, नागपुर, नई दिल्ली, पटना व थिरुवनंतपुरम में स्थित हैं। इसके अलावा एक सब-ऑफिस लखनऊ में है। प्रिंटिग प्रेस में छपे नोट सबसे पहले इन ऑफिसों में पहुंचते हैं। यहां से उन्हें कमर्शियल बैंक की शाखाओं को भेजा जाता है।
बेकार हो चुके नोटों को कहां जमा करते हैं?

नोट तैयार करते वक्त ही उनकी ‘शेल्फ लाइफ’ (सही बने रहने की अवधि) तय की जाती है। यह अवधि समाप्त होने पर या लगातार प्रचलन के चलते नोटों में खराबी आने पर रिजर्व बैंक इन्हें वापस ले लेता है। बैंक नोट व सिक्के सर्कुलेशन से वापस आने के बाद इश्यू ऑफिसों में जमा कर दिए जाते हैं। रिजर्व बैंक सबसे पहले इनके असली होने की जांच करता है। उसके बाद इन नोटों को अलग किया जाता है, जो दोबारा जारी किए जा सकते हैं। बेकार हो चुके नोटों को नष्ट कर दिया जाता है। इसी तरह सिक्कों को गलाने के लिए मिंट भेज दिया जाता है।
बैंक नोट क्यों कहते हैं?

रिजर्व बैंक द्वारा जारी किए जाने के कारण इन्हें बैंक नोट कहा जाता है।
कैसे छपते हैं?

विदेश या होशंगाबाद से आई पेपर शीट एक खास मशीन सायमंटन में डाली जाती है। फिर एक अन्य मशीन जिसे इंटाब्यू कहते हैं उससे कलर किया जाता है। यानी कि शीट पर नोट छप जाते हैं। इसके बाद अच्छे और खराब नोट की छटनी हो जाती है। खराब को निकालकर अलग करते हैं। एक शीट में करीब 32 से 48 नोट होते हैं।
कैसे नंबर अंकित करते हैं?

शीट पर छप गए नोटों पर नंबर डाले जाते हैं। फिर शीट से नोटों को काटने के बाद एक-एक नोट की जांच की जाती है। फिर इन्हें पैक किया जाता है। पैकिंग के बाद बंडलों को विशेष सुरक्षा में ट्रेन से भारतीय रिजर्व बैंक तक भेजा जाता है।
क्या खासियत होती है

इनमें?* बैंक नोट की संख्या चमकीली स्याही से मुद्रित होती है। बैंक नोट में चमकीले रेशे होते हैं। अल्ट्रावायलेट रोशनी में दोनों देखे जा सकते हैं।* कॉटन और कॉटन के रेशे मिश्रित एक वॉटरमार्क पेपर पर नोट मुद्रित किया जाता है।* नई श्रंखला वाले 500 और 1000 रुपए मूल्य के नोट की छपाई के लिए प्रति वर्ग सेमी वजन को बढ़ाने के साथ-साथ अधिक मोटाई वाले कागज का उपयोग किया गया है।
कैसे होती है कर्मचारियों की जांच?

नोट छपाई में लगे कर्मचारियों व अफसरों की बिना कपड़ों के जांच की जाती है। इसके सहित वे जांच की चार-पांच कड़ी प्रक्रियाओं से गुजरते हैं।
कहां रखे जाते हैं?

बैंक नोट व रुपए के सिक्के : करेंसी चेस्टछोटे सिक्के : डिपो
कब बड़े नोट हुए बाहर?

वर्ष 1946 तक 1,000 व 10,000 रुपए मूल्य के नोट सकरुलेशन में थे। लेकिन, कालेधन पर नियंत्रण पाने के लिए इसी वर्ष इन्हें डीमॉनीटाइज (इस्तेमाल खत्म) कर दिया गया। वर्ष 1954 में 1,000, 5000 व 10000 रुपए मूल्य के नोट फिर से पेश किए गए। वर्ष 1978 में इन्हें फिर डीमॉनीटाइज कर दिया गया। अब नए सिरे से बाजार में उतरे 1,000 मूल्य के नोट चलन में हैं।
नकली नोट का मुआवजा मिलेगा?

इंग्लैंड के समान भारत में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है कि आपके पास धोखे से आए नकली के बदले आपको मुआवजा मिले। नकली नोटों को नष्ट करना ही अंतिम विकल्प है। नकली नोट मिले तो इसे सीधे किसी बैंक में जाकर सौंप दें। यदि बैंक नोट लेने से इनकार करे तो वहां अधिकारियों को आरबीआई के निर्देशों के बारे में याद दिलाएं। तब बैंक इस नोट पर ‘नकली’ का ठप्पा लगाएगी और पुलिस में एफआईआर भी करेगी।
बैंक नोटों और सिक्कों को एक-एक बार आयातित भी किया ?

गयाबैंक नोटों और सिक्कों की आपूर्ति बढ़ाने के लिए केंद्र ने दो बार उपाय किए हैं। वर्ष 1997, 1998 में मांग-आपूर्ति के अंतर को पूरा करने के लिए सरकार ने केवल एक बारगी उपाय के रूप मे बैंक नोटों को आयातित किया। वहीं वर्ष 2002-2003 में अपने चार टकसालों से होनेवाली आपूर्ति में वृद्धि करने के लिए रुपया सिक्के भी सरकार ने आयातित किए। अब बैंक नोट और सिक्के, दोनों की आपूर्ति की स्थिति ठीक है।
किन की छपाई हुई बंद?

1, 2 व 5 रुपए मूल्य के नोटों की छपाई बंद हो चुकी है। हालांकि, बाजार में अब भी उनका इस्तेमाल हो रहा है और यह कानूनन सही है।
सिक्के कितने बनाने हैं कौन तय करता है?

रिजर्व बैंक से प्राप्त मांग पत्र के आधार पर इसका फैसला भारत सरकार करती है। सिक्के बनाने की इकाई टकसाल यानी मिंट से उनकी लाट हैदराबाद, कोलकाता, मुंबई व नई दिल्ली के रिजर्व बैंक ऑफिसों तक पहुंचाई जाती है।
क्या पॉलीमर नोट उपाय है जाली से बचने का?

जी हां, इन नोटों में ऐसे कई सुरक्षा मानक प्रबंध होते हैं, जो पेपर नोट में नहीं होते। चूंकि पॉलीमर नोट के कई सुरक्षा मानकों की फोटोकॉपी या स्कैनिंग कर दोबारा नहीं बनाया जा सकता, इसलिए इनके नकली नोट बनाना बेहद मुश्किल है। पॉलीमर नोट दोनों तरफ से अलग-अलग रंग के हो सकते हैं। पेपर नोट की तरह इनमें भी वाटरमार्क लगाया जा सकता है। पॉलीमर नोट ‘पॉलीमर बाइएक्सियलीओरिएंटेड पॉलीप्रोपिलीन’ मटेरियल से बनाए जाते हैं।
ज्यादा नोट छापने या मुद्रा का मूल्य गिरने से आखिर कितना बुरा हो सकता है?


तराजू में नोट तोलने पड़े

9/11 के बाद जब अमेरिका ने अफगानिस्तान पर हमला किया तो मुद्रा का मूल्य इतना गिर गया कि सब्जी लेने के बदले तराजू भर कर नोट देना पड़ते थे।
ब्रेड के टुकड़े के लिए10 जनवरी 2009 को जिम्बॉम्बे में मुद्रा का मूल्य इतना गिर गया कि ब्रेड की 2 स्लाइस की कीमत करोड़ों रुपए तक पहुंच गई।

Monday, August 24, 2009

नंद भारद्वाज को बिहारी पुरस्कार

नंद भारद्वाज को बिहारी पुरस्कार
25 अगस्त 2009, 01:39 hrs IST
जयपुर। पत्रकार, लेखक एवं साहित्यकार नंद भारद्वाज को सोमवार शाम के.के.बिडला फाउंडेशन के प्रतिष्ठित 'बिहारी पुरस्कार' से नवाजा गया। यह पुरस्कार राजस्थान के हिंदी एवं राजस्थानी लेखकों को दिया जाता है। भारद्वाज को वर्ष 2008 का यह पुरस्कार 'हरी दूब का सपना' कृति के लिए दिया गया है। जवाहर कला केन्द्र के रंगायन सभागार में हुए समारोह में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उन्हें प्रशस्ति पत्र, स्मृति चिन्ह एवं एक लाख की राशि प्रदान की। समारोह में के.के.बिडला फाउंडेशन की अध्यक्षा शोभना भरतिया, फाउंडेशन के निदेशक निर्मलकांति भट्टाचार्जी, निर्णायक समिति की अध्यक्षा प्रो.रमा सिंह, मंत्रिमंडल के सदस्य, साहित्यकार एवं शहर के गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
शोभना ने भारद्वाज के लेखन की तारीफ करते हुए कहा कि उनकी कविताएं मरू भूमि की सौंधी सुगन्ध से परिचय कराती हैं। प्रो. रमा सिंह ने कहा कि भारद्वाज की कृति आत्मसंवेदना और अनुभवों का दस्तावेज है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि लेखक, पत्रकार एवं साहित्यकार सदियों से समाज एवं सरकार का मार्गदर्शन करते आए हैं। वे हमेशा से सम्मानित रहे हैं और आगे भी रहेंगे।
सृजनशीलता को स्नेह पुरस्कार ग्रहण करने के बाद भारद्वाज ने कहा कि पुरस्कार साहित्यकार के सृजनात्मक कार्य को लोगों की नजरों में लाने का अवसर प्रदान करता है। वे इसे अपनी रचनाधर्मिता के प्रति स्नेह के रूप में देखते हैं।
40 कविताओं का संग्रहपुरस्कृत कृति 'हरी दूब का सपना' 40 कविताओं का संग्रह है। ये कविताएं मरूभूमि की विषमताएं, प्राकृतिक आपदाएं एवं सामाजिक विसंगतियों पर केन्द्रित हैं। कुछ कविताएं स्त्री की स्थिति, देश की समसामयिक समस्याओं एवं सामाजिक गैर-बराबरी के दर्द को भी बयां करती हैं।

Tuesday, August 18, 2009

यहां है स्वाइन फ्लू से बचने की सारी जानकारी...

यहां है स्वाइन फ्लू से बचने की सारी जानकारी...
Tuesday, August 18, 2009 16:17 [IST] (Ramesh Tawaniya) more information take(+919932419970)

स्वाइन फ्लू का प्रकोप भारत में दिन-ब-दिन बढ़ता ही जा रहा है। अब तक देश में इस महामारी की गिरफ्त में दम तोड़ने वालों की संख्या 26 हो चुकी है और सैकड़ों लोगों की स्थिति संदिग्ध बनी हुई है। विश्व में सबसे पहले यह मैक्सिको उत्पन्न हुआ था। वहां की सरकार ने इसे एक महामारी के तौर पर देखते हुए प्रभावी कदम उठाकर जड़ से उखाड़ फेंका। हालांकि इस कार्य को करते हुए भी कई जानें जा चुकी थीं। आज हमें भी ऐसे ही कुछ प्रभावी कदम उठाने की जरूर है। इसकी एक झलक तब मिली जब राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील ने भी देश के नाम संदेश देते हुए लोगों से आह्वान किया कि वे इस महामारी से निपटने के लिए आगे आएं।
मैक्सिको में कैसे हुआ नियंत्रित
स्वाइन फलू के नियंत्रण के लिए मैक्सिको में हेल्थ सेक्रेटरी जोस एंजेल कोरडोवा को जब इसकी सूचना मिली तो उन्होंने इसके लिए घोषणा की। अब तक हालांकि यह अपना असर दिखा चुका था। घोषणा में कहा गया कि सरकारी कामकाज के साथ अर्थव्यवस्था को कुछ समय के लिए रोक दिया जाए। इसी दौरान राष्ट्रपति फिलिप कालडेरोन ने मैक्सिकोवासियों को घर पर रहने का संदेश दिया। साथ ही उन्होंने जनता से कहा कि उनके घर के अलावा अन्य कोई स्थान इस समय सुरक्षित नहीं है।
राष्ट्रपति ने टीवी पर देश के नाम संदेश देते हुए बताया कि पिछले कुछ सालों में यह सबसे बड़ी समस्या पैदा हुई है जिसका हम सामना कर रहे हैं। उन्होंने सरकार के कार्यो में ढिलाई होने की बात का पुरजोर खंडन करते हुए कहा कि संबंधित विभागों ने इसके लिए तुरंत कार्यवाही की है। इस समय समस्या से निपटने के दो रास्ते सूझ रहे थे। पहला तो ये कि सभी गतिविधियों को कुछ समय के लिए ठप कर दिया जाए। दूसरा जनता को अतिसख्त नियमों या प्रतिबंधों का पालन कराया जाए।
इस समय तक मैक्सिको में 2498 मौतें हो चुकी थीं जिनमें से 1311 लोग ही अस्पताल में भर्ती किए गए थे। सरकारी अस्पतालों ने स्वाइन फलू का और अधिक असर पड़ने की संभावना व्यक्त की थी। कोरडोवा ने कहा कि इस दौरान सभी गैरसरकारी कार्यालय 1 मई से 5 मई तक बंद रहेंगे। इस तरह राष्ट्रीय अवकाश की घोषणा कर दी गई। व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को भी बंद रखा गया चाहे सरकारी हों या निजी सभी के लिए नियम लागू था। केवल कुछ जरूरी सेवाएं जैसे ट्रांसपोर्ट, सुपर मार्केट, ट्रेस कलेक्शन, हॉस्पिटल को ही खुला रहने दिया गया था।
कोरडोवा ने एक प्रेस कान्फ्रेंस में कहा कि यह मैक्सिकोवासियों के ऊपर निर्भर करता है कि उनके लिए कौन सी सेवाएं आवश्यक हैं और कौन सी नहीं। वैसे पुलिस एजेंसी और एयरपोर्ट सेवाएं खुली रहेंगी। इसी तरह टेलीकॉम सर्विस और फार्मेसीज व पब्लिक ट्रांसपोर्ट भी खुली होंगी। ट्रेजरी सेक्रेटरी अगस्टिन के अनुसार इस महामारी के प्रकोप से बचने के लिए उठाए जा रहे कदमों के नतीजतन अर्थव्यवस्था का लगभग 0.3 से 0.5 प्रतिशत राशि खर्च होगी। इस तरह मैक्सिको में स्वाइन के आतंक का खात्मा किया गया।
स्वाइन फ्लू की पृष्ठभूमि
एच१एन१ स्पैनिश फलू से आया जो 1918 और 1919 के दौरान फैली एक महामारी थी। जिससे भारी संख्या में लोग मारे गए थे। यह सुअरों से आया था। 20क्वीं सदी में इसका संचलन मनुष्यों में भी हुआ। इंफ्लूएंजा विषाणु जो कि मानव इंफ्लूएंजा के लिए उत्तरदायी हैं में से दो सूअरों में भी फैल सकते हैं। इसे तीन श्रेणी इंफ्लूएंजा ए, इंफ्लूएंजा बी और इंफ्लूएंजा सी में बांटा गया है। इंफ्लूएंजा ए यह बहुत ही आम है। प्राय: पाया जाता है जो जल्दी ही ठीक भी हो जाता है।
इंफ्लूएंजा बी को सुअरों में नहीं देखा गया है। इंफ्लूएंजा सी यह कुछ ज्यादा प्रभावी है इसके मानव और सुअरों में फैलने के जीन आधारित अलग अलग भेद हैं। परंतु इसके जीन स्थानांतरण की क्षमता रखते हैं। यह विषाणु मानव और सुअरों को संक्रमित करता है लेकिन पक्षियों को नहीं। पहले भी इसका स्थानांतरण सुअरों और मानवों के बीच हुआ है। उदाहरण के लिए जापान और कैलिफोर्निया में बच्चों के बीच इसका कम प्रभावी प्रकार फैला था। अपने सीमित परपोषी जंतुओं और आनुवांशिक विविधता की कमी के कारण यह मानव में महामारी का कारण नहीं बन पाया है।
बर्ड फ्लू और स्वाइन फ्लू
स्वाइन फ्लू की तरह बर्ड फ्लू भी कुछ वर्ष पहले दुनिया में दहशत फैला चुका है। यह बीमारी पक्षियों में एच5 एन1 नामक वायरस से फैलती थी। कुछ लोगों का कहना था कि यह वायरस अपना रूप बदलकर मानवों को भी अपने प्रभाव में ले सकता है। लेकिन सौभाग्य से यह वायरस मनुष्य के लिए उतना घातक साबित नहीं हुआ। यूरोप और एशिया के कुछ देशों में फैलने के बाद इसे नियंत्रित कर लिया गया।
वहीं स्वाइन फ्लू एच1 एन1 नामक वायरस के कारण फैलता है। ऐसा माना जाता है कि इस प्रकार का वायरस सुअरों को पहले से ही प्रभावित करता आया है। 20क्वीं सदी में इसके मानवों प्रादुर्भाव की बात तब सामने आई जब मैक्सिको में अचानक इसने अपने पैर पसार कर कई जानें ले लीं। तब से इसे स्थानांतरित हो सकने वाला वायरस मानते हुए बचने के समुचित प्रयास किए गए। हालांकि अब तक इसका कोई वैक्सिन उपलब्ध नहीं है लेकिन कुछ दवाएं हैं जिनसे इलाज किया जाता है।
किन रास्तों से गुजर कर आया स्वाइन फ्लू
स्वाइन फ्लू का पहला मरीज मैक्सिको में पाया गया था। इसका प्रादुर्भाव होने पर मैक्सिको में यह तेजी से फैला। इसके बाद इसने अमेरिका, यूरोप, एशिया की यात्रा की। एक लहर की तरह चलते हुए 1 मार्च 1918 में अमेरिका में यह पहली बार सामने आया था। अब तक 74 देशों में स्वाइन फ्लू के 28 हजार से ज्यादा मामलों की पुष्टि की जा चुकी है। इसकी इस भयावहता को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे महामारी घोषित किया है।
कैसे करें पहचान
स्वाइन फ्लू संक्रमित व्यक्ति थकान महसूस करता है। उसे कमजोरी महसूस होने लगती है। बुखार उतरता और चढ़ता है। स्वाइन फ्लू की सबसे बड़ी पहचान मांसपेशियों में जबदस्त खिंचाव के साथ दर्द होना होता है।
क्या करना चाहिए
यह संक्रमण सांस के साथ तेजी के साथ फैलता है, इसलिए आशंकित व्यक्ति को सबसे पहले इस बारे अपने डॉक्टर से बातचीत करनी चाहिए। स्वयं किसी तरह की दवा लेने की गलती नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इस संक्रमण में दवाएं बेअसर रहती हैं। यह संक्रमण एक वायरस के कारण फैलता है, इसलिए इसमें कौनसी एंटीबायोटिक टैबलेट काम करेगी, यह डॉक्टर ही तय कर पाते हैं।
ऐसे में दवा फायदा पहुंचाने की बजाए नुकसान कर सकती हैं। मनमाने तरीके से दवा लेकर आप अपने सही उपचार में देरी कर अपने लिए खतरे को और बढ़ा लेते हैं। एंटीबायॉटिक टैबलेट बैक्टीरिया से फैलने वाले संक्रमण के लिए कारगर हैं, वायरस पर ये बेअसर रहती है।
सबसे अधिक खतरा इन्हें
अस्थमा व दिल की बीमारी से पीड़ित, किडनी, लीवर, डायबिटीज के रोगी, गर्भवती महिलाएं, 65 वर्ष से अधिक के व्यक्ति और पांच साल से कम उम्र के बच्चों को इस संक्रमण से बचाने के लिए विशेष प्रयासों की जरूरत होती है।
तेजी से फैलता है
स्वाइन फ्लू एक से दूसरे व्यक्ति तक बड़ी तेजी के साथ फैलता है। बहती नाक के कारण और संक्रमित व्यक्ति के छींकने से यह वायरस दूसरे व्यक्ति में प्रवेश कर जाता है। अगर नाक पर रुमाल या हाथ रखे बिना संक्रमित व्यक्ति छींकता है तो एक मीटर के दायरे में किसी भी अन्य व्यक्ति में यह वायरस सांसों के जरिये प्रवेश कर जाता है। संक्रमित व्यक्ति द्वारा छूए गए टेलीफोन, दरवाजे के हैंडल और की-बोर्ड आदि को जब अन्य व्यक्ति छूते हैं तो यह वायरस उन्हें भी लग जाता है।
क्या है उपचार
एंटीवायरल ड्रग के प्रयोग से स्वाइन फ्लू के संक्रमण से बचा जा सकता है। टैमीफ्लू और रेलेंजी एंटी वायरल दवाएं हैं जो संक्रमित व्यक्ति को दी जा रही हैं। ये दवाएं वायरस के प्रभाव को कम करती हैं और फैलने से रोकती हैं। इन दवाओं को संक्रमण के चपेट में आने के 48 घंटे के अंदर लेना जरूरी होता है।
यह दवा संक्रमित व्यक्ति को पांच से सात दिन तक दी जाती हैं। दोनों तरह की दवाएं अलग-अलग आयु के लोगों को दी जाती हैं। इन दवाओं के कुछ साइड इफैक्ट भी हैं, जैसे जी घबराना, एकाग्रता न बन पाना और उल्टी आना। इस महामारी का इलाज मुख्यत: एलोपैथी से होता है परंतु होम्योपैथी डाक्टरों का कहना है कि उनके पास भी इस बीमारी को दूर करने की दवा मौजूद है।
पान में नीम-तुलसी खाएं और स्वाइन फ्लू भगाएं
स्वाइन फ्लू का डर हर किसी को सता रहा है। लोग इससे बचने के लिए डॉक्टरों से सलाह कर रहे हैं लेकिन अभी तक इसका टीका उपलब्ध नहीं है। एलोपैथी में भले ही इससे बचाव का रास्ता नहीं मिला है लेकिन भारत की प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति (नैचरोपैथी) और आयुर्वेद के डॉक्टर दावा कर रहे हैं कि मामूली उपाय से स्वाइन फ्लू से बचा जा सकता है।
प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र बस्सी (जयपुर) के सीएमओ डॉ. एकलव्य बोहरा के अनुसार स्वाइन फ्लू से बचने के लिए पांच दिन तक सुबह खाली पेट एक पान के पत्ते में चूना लगाकर उसमें 5 नीम पत्ती व 5 तुलसी पत्ती डालकर खा लें।
पान थूकना नहीं है। पांच दिन तक यह उपचार लेने से स्वाइन फ्लू नहीं होगा। स्वाइन फ्लू की चपेट में आए व्यक्ति को दिन में दो बार नीम का धुआं दें तथा गिलोय सत्व एक चम्मच, 10 तुलसी के पत्ते उबालकर दिन में दो बार दें।
डॉ. बोहरा के अनुसार उक्त उपचार लेने से स्वाइन फ्लू होने के आसार नहीं के बराबर हैं। शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने से आसानी से वायरस का प्रभाव नहीं होगा और रोगों से लड़ने की शक्ति में भी बढ़ोतरी होगी।
क्या मास्क मददगार है
इसमें कोई दो राय नहीं कि संक्रमण से फैलने वाली बीमारियों की रोकथाम में मास्क का प्रयोग मददगार साबित होता है। मास्क का प्रयोग मास लेवल पर थोड़ा कठिन है। यही वजह है कि किसी भी संक्रमण की रोकथाम में यह कितना प्रभावी रहेगा कह पाना मुश्किल होता है। इस बात पर ध्यान देना चाहिए, यदि आप स्वाइन फ्लू से ग्रसित रोगी की देखभाल कर रहे हैं तो मास्क का प्रयोग जरूर करें।
घर पर बरतें सावधानियां
साबुन और पानी
पानी और साबुन संक्रमण के प्रभाव को 30 प्रतिशत तक कम कर सकते हैं। कहीं से आएं तो तुरंत साबुन से हाथों को धोएं। अगर पानी व साबुन उपलब्ध नहीं है तो एल्कोहल बेस्ड हैंड क्लिनर से हाथ धोएं। नाक और आंखों को न छुएं।
संक्रमण काल में शरीर को आवश्यक और पोषक खुराक देते रहना चाहिए। इससे शरीर को किसी भी संक्रमण से बचने की शक्ति मिलती है। प्रोटीन से भरपूर मांस, अंडे, मछली और मेवों का सेवन लाभकारी रहेगा। इसी तरह विटामिन बी6 और प्रोटीन के लिए फलियां, आलू और दूध का पर्याप्त सेवन किया जाना चाहिए। मिनिरल्स भी शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मददगार साबित होते हैं।
नियमित व्यायाम करें
नियमित व्यायाम भी फ्लू के प्रभाव से बचा सकता है। यह रोगों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाता है। व्यायाम करने से रक्त कोशिकाओं में बह रह रहा श्वेत रक्त तेजी के साथ बहता है। यह रक्त वायरस और किसी भी तरह के बैक्टीरिया से लड़ने का काम करता है। विशेषज्ञों का कहना है कि प्रतिदिन कम से 30 मिनट एरोबिक एक्सरसाइज जरूर करनी चाहिए। इनमें तैरना, दौड़ना और साइकिल चलाना शामिल हैं।
स्कूलों में बरतें सतर्कता
बच्चों को बीमार बच्चों के संपर्क से दूर रखें। बच्च बीमार है तो उसे घर पर रहने को कहें। हाथों को बार-बार धोएं। हाथ, मुंह और आखों को न छुएं। छींकते, खांसते समय मुंह पर रुमाल रखें।
क्या हैं लक्षण
* स्वाइन फ़्लू के लक्षण वहीं होते हैं जो आम फ़्लू के होते हैं - बुख़ार, खांसी, गले में दर्द, बदन दर्द, सर्दी लगना, थकावट महसूस होना.
* यदि आपको फ़्लू के लक्षण दिखाई देते हैं और आप हाल में मेक्सिको गए थे तो आपको डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए.
* यदि आपको शक है कि आपको स्वाइन फ़्लू है तो घर पर रहें और पहले चिकित्सक से फ़ोन पर सलाह लें.
वैक्सीन पर काम शुरू कब से?
चयन : डब्ल्यूएचओ ने वैक्सीन के विकास के लिए सीरम इंस्टीटच्यूट ऑफ इंडिया, पुणे का चुनाव किया।
शर्त यह : डब्ल्यूएचओ के मुताबिक विकसित होने वाले टीके के 10 फीसदी डोज अन्य देशों में उपयोग के लिए देना होंगे।
विशेषता : यहां स्टेट ऑफ द आर्ट फेसिलिटी है। अंतरराष्ट्रीय स्टैंडर्ड पर इसे प्रतिष्ठित बॉयो सेफ्टी लेवल-2 मिला हुआ है।
काम शुरू हुआ : 12 अप्रैल 2009 को मैक्सिको के वेराक्रुज शहर के पास एक गांव में स्वाइन फ्लू का पहला मामला सामने आने के कुछ ही दिनों बाद।
प्रगति : मानव पर सीमित परीक्षण की तैयारी। इसके लिए 25 वालंटीयर तैयार।
कब तक बनेगा : वैक्सीन सितंबर तक बनकर तैयार हो जाएगा। लेकिन व्यापक उपयोग के डोज तैयार होने में छह माह लगेंगे।
बनने में इतना वक्त क्यों?
मुर्गी के फर्टीलाइज्ड अंडे में फ्लू के वायरस को इंजेक्ट किया जाता है। इसमें वायरस को मल्टीप्लाय अर्थात अपनी संख्या बढ़ाने में छह माह लगते हैं। ऐसा लाखों अंडों में करना पड़ता है। इतने अधिक अंडे जुटाने में वक्त लगता है।
आखिर इतनी जरूरत क्यों?
इन्फ्लूएंजा के किसी भी नए वायरस को दुनियाभर में फैलने में कम से कम 25 सप्ताह लगते हैं, लेकिन स्वाइन फ्लू का वायरस नौ हफ्ते में ही सभी महाद्वीपों में फैल गया। इसे रोकने के लिए वैक्सीन ही कारगर होगा।
आशंकाएं क्या?
* भारी मांग के चलते वैक्सीन के डोज कम पड़ सकते हैं।* वैक्सीन के दो डोज की आवश्यकता होगी, जिससे सप्लाई में और कमी आ सकती है।* युद्धस्तर पर विकसित ये वैक्सीन, हो सकता है पूरी तरह कारगर न हो।* वैक्सीन आने तक वायरस ने खुद को बदल लिया तो वैक्सीन बेकार साबित हो सकता है।
कैसे बचेंगे कमी से?
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वैक्सीन में एडजुवैंट्स जोड़ने को कहा है। ये वे पदार्थ होते हैं, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति को मजबूत करते हैं और वैक्सीन का डोज कम लगता है।
टेस्ट कैसे?
* स्वाइन फ्लू के तीन स्ट्रेन अंडो में इंजेक्ट किए जाते हैं।* अंडे में ये वायरस मल्टीप्लाय होते हैं।* वायरस बाहर निकालकर उनमें कोई आनुवांशिक मिलावट हुई हो तो उसे दूर करके शुद्धिकरण किया जाता है।* वायरस को मारकर उसको तोड़ा जाता है।* वायरस की सतह पर मौजूद एंटीजन एचए और एनए को अलग किया जाता है।* वायरस के ऐसे तीन स्ट्रेन मिलाकर एक डोज बनता है।* इसे मानव शरीर में डालकर प्रतिरोधी कोशिकाओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाई जाती है।
तकनीक कौन सी?
समय बचाने के लिए सेल कल्चर तकनीक का प्रयोग किया जाता है। इसमें अंडों की जगह कुत्ते की किडनी की कोशिका ली जाती है। इसमें वायरस को डालकर इसे प्रयोगशाला में बढ़ने दिया जाता है। बाद में वैक्सीन निर्माण की वही प्रक्रिया अपनाई जाती है। इसमें कम वक्त लगता है।
किसे मिलेगी सबसे पहले?
अमेरिका की आधी आबादी चाहती है कि वैक्सीन सबसे पहले उन्हें मिले। लेकिन विश्व पैनल ने तय किया है कि सबसे पहले गर्भवती महिलाओं, फिर नवजात के संपर्क में आने वाले लोगों और इमरजेंसी मेडिकल वकर्स को वैक्सीन मिलेगी।
बड़ा खतरा क्या?
वैक्सीन को एकदम से बड़े पैमाने पर उपयोग करने में इसकी रिएक्शन होने का खतरा होता है। अमेरिका में 1976 में जब बड़े पैमाने पर फ्लू फैला था तो तत्कालिन राष्ट्रपति जेराल्ड फोर्ड ने बड़े पैमाने पर वैक्सीन कार्यक्रम चलाया था। वैक्सीन से कई लोगों को गंभीर गंभीर किस्म का लकवा हो गया था। फोर्ड को इसके राजनीतिक परिणाम भी भुगतने पड़े थे।
हम कहां तक पहुंचे?
पुणो के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी ने स्वाइन फ्लू का वायरस अलग कर लिया है। यह इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च का हिस्सा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे इनफ्लूएंजा के लिए दक्षिण एशिया की रेफरेंस लेब का दर्जा दिया है।
और कौन-कौन बना रहा है?
पेनेशिया बॉयोटेक, नई दिल्ली, भारत बॉयोटेक, हैदराबाद कैडिला फार्मास्यूटिकल, अहमदाबाद फोर्टिस इंडिया।
विदेशों में कितना काम?
नोवार्टिस, स्विस फार्मा कंपनी वैक्सीन के विकास में सबसे आगे चल रही कंपनी ने टीके का पहला बैच निकालकर 4 अगस्त को मानव पर परीक्षण किया है। अगले माह तक वैक्सीन इस्तेमाल के लिए उपलब्ध होने की उम्मीद।
माउथ स्प्रे कौन बना रहा है?
यह कंपनी इंजेक्ट किए जाने वाले वैक्सीन के बजाय माउथ स्प्रे बनाने में लगी है। 17 अगस्त को इसका क्लिनिकल ट्रायल है।
वैक्सीन बनाने वाली कंपनियां कौन सी?
* वैक्जीन, एडिलेड* सीएसएल बॉयोटेक, मेलबोर्न* सानाफी एवेंतिस, फ्रांस* ग्लेक्सोस्मिथक्लाइन, ब्रिटेन* प्रोटीन साइंसेस, अमेरिका* बायोंडवेक्स, इजरायल
Help Line Number +919413074482 (Dr. O. P. Tawaniya)

Tuesday, June 16, 2009

RAMESH TAWANIYA


Sunday, July 07, 2009सारस्वत छात्र/छात्राओं के लिए खुश खबरीसारस्वत समाज के होनहार छात्र/छात्राओं के लिए सारस्वत जगत द्वारा हर वर्ष परीक्षा सत्र के परीक्षा परिणामों में कुल अंकों में से 60 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करने वाले होनहार छात्र/छात्राओं का सचित्र संक्षिप्त परिचय प्रतिवर्ष मई के अंक से निःशुल्क प्रकाशित किया जाता है। आठवीं बोर्ड, दसवीं बोर्ड एवं 12 बोर्ड की परीक्षाओं में 75 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करने वाले छात्र/छात्राओं को सारस्वत जगत द्वारा ''सारस्वत प्रतिभा अभिनन्दन-पत्र'' दिया जाता। अतः कक्षा 3 से सीनियर सैकेण्डरीt तथा कॉलेज की सभी कक्षाओं के छात्र एवं छात्राएँ निम्न जानकारी के साथ अपना परिचय अलग कागज पर लिखकर प्रेषित करें।छात्र/छात्रा का नाम.....................................................................................................................................................जन्मतिथि..........................................उत्तीर्ण कक्षा................................प्राप्तांक...........................प्रतिशत....................पिता का नाम एवं पूर्ण पता .......................................................................................................................................................................................................................................................................................................................नोट : उपरोक्त जानकारी के साथ अपना पासपोर्ट साईज फोटो एवं परीक्षा परिणाम (मार्कशीट) की फोटो स्टेट प्रति ''सारस्वत जगत'' कार्यालय के पते पर भिजवायें। किसी भी अधूरी जानकारी के अभाव में परिचय प्रकाशित नहीं किया जावेगा। भेजने के लिए हमारा पता :सारस्वत डाकघर के पीछेसारस्वत मार्ग, गंगाशहर रोड बीकानेर-334001 (राजस्थान)For more detail Call on : +919932419970 & +919828833750
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Posted by Tawaniya Ramesh at 11:30 PM 1 comments Links to this post

जीवन परिचय भेजेंसारस्वत जगत का प्रकाशन-उद्देश्य जहाँ सारस्वत समाज की विभूतियों का परिचय समाज को करवाना है, वहीं कुरीतियों और कुप्रथाओं को भी भग्न करना है। हमारे लिए यह जानना गौरव की बात ही होगी कि सारस्वतों में भी कितने ही रत्न हैं ? हम ऐसे सारस्वत रत्नों से आपका साक्षात्कार करवायेंगे। आप भी हमें ऐसे व्यक्तियों का जीवन-परिचय (मय चित्र) प्रेषित करें, भले वे ज्ञान, शिक्षा, सेवा, व्यापार, व्यवसाय, उद्यम आदि किसी क्षेत्र में क्यों न हों। ऐसे अलभ्य प्रत्येक समाज का गौरव एवं सिरमोर होते हैं। हमें इस घातक प्रवृति का परित्याग करना ही होगा कि हम राष्ट्र के अन्य समाजों से किसी भी रूप में पिछड़े हुए हैं। हमें किसी प्रकार के हीन-बोध को हमारे अन्तःकरण में प्रविष्ट नहीं होने देना है, हमें सदैव अपना अतीत स्मरण करना है और अपने को, अपने बन्धु-बान्धवों को तथा अपने समाज को प्रत्येक क्षेत्र में प्रोन्नत करके अपना मस्तक गर्वोन्नत करने की उच्चाकांक्षा मन में रखनी है। आप द्वारा प्रेषित समाज के ''सारस्वत रत्न'' का जीवन परिचय प्राप्त होने पर हम सहर्ष प्रकाशित करेंगे। भेजने के लिए हमारा पता :सारस्वत जगतललकार डाकघर के पीछेसारस्वत मार्ग, गंगाशहर रोड बीकानेर-334001 (राजस्थान)Posted by Tawaniya Ramesh at 9:25 AM 0 comments Links to this postसारस्वत जगत के नियमोद्देश्य :-समाज के हितों का संरक्षण, सवंर्धन एवं समाज की आर्थिक, शैक्षणिक, औद्योगिक व नैतिक उन्नति में योगदान करते हुए पथ-प्रदर्शन करना। प्रशंसनीय कार्य जो शैक्षणिक, समाजोन्नति में अग्रसर हो व सामाजिक कुरीतियों एवं बुराईयों सम्बन्धी समस्या आदि पर विचार प्रकाशित कर जागृति हेतु प्रयास करना। व्यापक-हित की सामग्री, निःशुल्क प्रकाशित की जाती है केवल नीजि हित की सामग्री विज्ञापन की श्रेणी में आती है। कृपया पत्र-व्यवहार करते समय ग्राहक कूट-संख्या अवश्य अंकित करें। सामाजिक समाचार से सम्बन्धित सूचनाऐं २५ तारीख से पूर्व भिजवायें। यह निःशुल्क प्रकाशित की जाती है। पत्रिका प्रकाशन का उद्देश्य व्यावसायिक नहीं, यह मिशन स्वरूप प्रकाशित किया जा रहा है। अतः इसकी सुदृढ़ता हेतु अपना आर्थिक एवं रचनात्मक सहयोग प्रदान कर इसके उत्तरोत्तर विकास में सहायक बने। विश्वास रहे पत्रिका नियमित, स्वतन्त्र और निष्पक्ष समाज हित में प्रकाशित होती रही है और रहेगी। पत्रिका नियमित प्राप्त करने हेतु अपना पूर्ण पता भिजवायें। पते में परिवर्तन की सूचना शीघ्र प्रेषित करें।Posted by Tawaniya Ramesh at 9:25 AM 0 comments Links to this postसारस्वत जगत के नियमोद्देश्य :-समाज के हितों का संरक्षण, सवंर्धन एवं समाज की आर्थिक, शैक्षणिक, औद्योगिक व नैतिक उन्नति में योगदान करते हुए पथ-प्रदर्शन करना। प्रशंसनीय कार्य जो शैक्षणिक, समाजोन्नति में अग्रसर हो व सामाजिक कुरीतियों एवं बुराईयों सम्बन्धी समस्या आदि पर विचार प्रकाशित कर जागृति हेतु प्रयास करना। व्यापक-हित की सामग्री, निःशुल्क प्रकाशित की जाती है केवल नीजि हित की सामग्री विज्ञापन की श्रेणी में आती है। कृपया पत्र-व्यवहार करते समय ग्राहक कूट-संख्या अवश्य अंकित करें। सामाजिक समाचार से सम्बन्धित सूचनाऐं २५ तारीख से पूर्व भिजवायें। यह निःशुल्क प्रकाशित की जाती है। पत्रिका प्रकाशन का उद्देश्य व्यावसायिक नहीं, यह मिशन स्वरूप प्रकाशित किया जा रहा है। अतः इसकी सुदृढ़ता हेतु अपना आर्थिक एवं रचनात्मक सहयोग प्रदान कर इसके उत्तरोत्तर विकास में सहायक बने। विश्वास रहे पत्रिका नियमित, स्वतन्त्र और निष्पक्ष समाज हित में प्रकाशित होती रही है और रहेगी। पत्रिका नियमित प्राप्त करने हेतु अपना पूर्ण पता भिजवायें। पते में परिवर्तन की सूचना शीघ्र प्रेषित करें।Another are you ContactRajasthanpatrika Savadata O.P.Tawaniya +919413074482
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सारस्वत छात्र/छात्राओं के लिए खुश खबरी

Sunday, June 14, 2009

सारस्वत छात्र/छात्राओं के लिए खुश खबरी
सारस्वत समाज के होनहार छात्र/छात्राओं के लिए सारस्वत जगत द्वारा हर वर्ष परीक्षा सत्र के परीक्षा परिणामों में कुल अंकों में से 60 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करने वाले होनहार छात्र/छात्राओं का सचित्र संक्षिप्त परिचय प्रतिवर्ष मई के अंक से निःशुल्क प्रकाशित किया जाता है। आठवीं बोर्ड, दसवीं बोर्ड एवं 12 बोर्ड की परीक्षाओं में 75 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करने वाले छात्र/छात्राओं को सारस्वत जगत द्वारा ''सारस्वत प्रतिभा अभिनन्दन-पत्र'' दिया जाता। अतः कक्षा 3 से सीनियर सैकेण्डरीt तथा कॉलेज की सभी कक्षाओं के छात्र एवं छात्राएँ निम्न जानकारी के साथ अपना परिचय अलग कागज पर लिखकर प्रेषित करें।छात्र/छात्रा का नाम.....................................................................................................................................................जन्मतिथि..........................................उत्तीर्ण कक्षा................................प्राप्तांक...........................प्रतिशत....................पिता का नाम एवं पूर्ण पता .......................................................................................................................................................................................................................................................................................................................नोट : उपरोक्त जानकारी के साथ अपना पासपोर्ट साईज फोटो एवं परीक्षा परिणाम (मार्कशीट) की फोटो स्टेट प्रति ''सारस्वत जगत'' कार्यालय के पते पर भिजवायें। किसी भी अधूरी जानकारी के अभाव में परिचय प्रकाशित नहीं किया जावेगा। भेजने के लिए हमारा पता :सारस्वत जगतललकार डाकघर के पीछेसारस्वत मार्ग, गंगाशहर रोड बीकानेर-334001 (राजस्थान)For more detail Call on : +919932419970 & +919828833750
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समाज के हितों का संरक्षण, सवंर्धन एवं समाज की आर्थिक, शैक्षणिक, औद्योगिक व नैतिक उन्नति में योगदान करते हुए पथ-प्रदर्शन करना। प्रशंसनीय कार्य जो शैक्षणिक, समाजोन्नति में अग्रसर हो व सामाजिक कुरीतियों एवं बुराईयों सम्बन्धी समस्या आदि पर विचार प्रकाशित कर जागृति हेतु प्रयास करना। व्यापक-हित की सामग्री, निःशुल्क प्रकाशित की जाती है केवल नीजि हित की सामग्री विज्ञापन की श्रेणी में आती है। कृपया पत्र-व्यवहार करते समय ग्राहक कूट-संख्या अवश्य अंकित करें। सामाजिक समाचार से सम्बन्धित सूचनाऐं २५ तारीख से पूर्व भिजवायें। यह निःशुल्क प्रकाशित की जाती है। पत्रिका प्रकाशन का उद्देश्य व्यावसायिक नहीं, यह मिशन स्वरूप प्रकाशित किया जा रहा है। अतः इसकी सुदृढ़ता हेतु अपना आर्थिक एवं रचनात्मक सहयोग प्रदान कर इसके उत्तरोत्तर विकास में सहायक बने। विश्वास रहे पत्रिका नियमित, स्वतन्त्र और निष्पक्ष समाज हित में प्रकाशित होती रही है और रहेगी। पत्रिका नियमित प्राप्त करने हेतु अपना पूर्ण पता भिजवायें। पते में परिवर्तन की सूचना शीघ्र प्रेषित करें।
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