Saturday, July 17, 2010

क्यों होता है पहली नजर में प्यार


एक नजर ही काफी है दिल्लगी के लिए..., पहली ही बार में, एक छोटी सी झलक ने अटूट बंधन में बांध दिया.., पहली ही नजर ऐसी मिली उनसे कि, बस उन्हीं के होकर रह गए सदा के लिये और भी जाने क्या कुछ नहीं कहा जाता इस बारे में।

एक खास उम्र में सबकी पसंद का विषय ही प्यार और प्रेमी हो जाता है। भावनाओं को संभालकर या शांत करके गहराई से विचार करें कि क्या ऐसा होना संभव है। क्या पहली नजर में ही बिना किसी को जाने-पहचाने सच्चा प्रेम किया या करवाया जा सकता है? यदि ऐसा किसी को लगता है कि उसके साथ ऐसा हुआ है, तो क्या वाकई उसे सच्चा अनुभव हुआ है?



कुछ लोग हैं दुनिया में जो सिर्फ और सिर्फ सांइस को ही सच मानते हैं। वहीं कुछ लोग धर्म, ज्योतिष और प्राचीन शास्त्रों पर भी गहरी श्रृद्धा रखते हैं। यानि कि हमें अंतिम निर्णायक किसी एक को नहीं मानना चाहिये बल्कि बीच का रास्ता यानि कि संतुलन बनाने में ही समझदारी है। यानि प्यार जैसे जस्बाती मुद्दे पर हमें सांइस और विज्ञान दोनों की राय लेना चाहिये। तो आइये देखें कि क्या कहता हैं, विज्ञान और ज्योतिष पहली नजर के प्यार के बारे में-



ज्योतिष की नजर से: वीनस यानी शुक्र प्रेम का 'गवर्निंग प्लेनेट' है। शुक्र की स्थिति ही युवाओं की जिंदगी में प्यार और दाम्पत्य जीवन की स्थितियों को नियंत्रित करती है। कुछ अन्य ज्योतिषियों की मान्यता है कि युवाओं की जिंदगी में प्रेम प्रसंगों के लिये कुछ अन्य ग्रह भी जिम्मेदार होते हैं। लेकिन एक्सपट्र्स की मानें तो यह पूर्ण सत्य नहीं है। इसके लिए और भी ग्रह जिम्मेदार हैं। किसी भी युवा लड़के या लड़की की कुंड़ली में बृहस्पति यानी ज्यूपिटर ग्रह शरीर में ऐसे हार्मोन्स की वृद्धि करता है जो विपरीत जेंडर के प्रति आकर्षण बढाता है। यही संयोग जातक में इमोशनल सपोर्ट की अपेक्षाओं को जन्म देता है।



वीनस ग्रह लड़कों में प्रेम का कारक होता है। यही वीनस यानी शुक्र, ज्यूपिटर को संतुलित रखता है। जब किसी कारण से दो प्लेनेट का कॉम्बिनेशन असंतुलित या पूर्णत: एक समान होता है तो प्रेम मिलने का आधार पैदा होता है। चंद्रमा यानी मून, मन का मालिक होता है अत: चंद्रमा का भी प्रेम मिलने में अहम किरदार है। कन्या की कुंडली में चंद्रमा और बृहस्पति एक साथ मजबूत बैठे हों। एक-दूसरे में दृष्टि संबंध हो। स्थान परिवर्तन योग हो। शुक्र बृहस्पति के मुकाबले कमजोर हो। नवम-पंचम में हो तो प्रेम का योग बनता है।



विज्ञान की नजर से: सांइस की माने तो पहली नजर का प्यार जैसी कोई चीज नहीं होती। यह मात्र आकर्षण का ही परिणाम होता है। रसायन विज्ञानियों का मानना है कि ऐसा तब होता है जब शरीर में एक विशेष प्रकार हार्मोन्स का स्राव होने लगता है। किन्तु यदि हम मनोविज्ञान के दृष्टिकोण से सोचेंगे तो एक नई और अधिक व्यावहारिक बात सामने आएगी। वह यह कि इंसानी मन की यह फि तरत होती है कि उसे जिस काम से रोका जाए ,उसे उसी काम में अधिक रस मिलता है। लड़के और लड़कियों को बचपन से एक दूसरे से दूरी रखने का निर्देश दिया जाता है, जिससे उनके मन जिज्ञासा और भी बढ़ जाती है।

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